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Sunday, April 27, 2025

कड़ी मेहनत का उजाला



चलो सपनों के संग चलें,
हर मुश्किल को हल कर लें।
पसीनों से धरती सींचें,
अपना आकाश खुद गढ़ लें।

ना थकना है, ना रुकना है,
हर मंज़िल को छूना है।
मेहनत के दीप जलाकर,
कल अपना खुद बुनना है।

आज जो बीज बोओगे,
कल वो फूल बन जाएगा।
कड़ी मेहनत के सूरज से,
अंधियारा भी मुस्काएगा।

चलो चलें, ना डरें कहीं,
इरादों से राह बनाएं।
कड़ी मेहनत की इस धरती पर,
सपनों का गुलशन सजाएं।

दलीप सिंह

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