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नेताजी का चश्मा


(नेताजी का चश्मा)
(1)
1-निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये-
हालदार साहब को पानवाले द्वारा एक देशभक्त का इस तरह मजाक उड़ाया जाना अच्छा नहीं लगामुड़कर देखा तो अवाक रह गएएक बेहद बूढा मरियल-सा लंगड़ा आदमी सिर पर गाँधी टोपी पहने और आँखों पर काला चश्मा लगाए एक हाथ में एक छोटी-सी संदूकची और दूसरे हाथ में बांस में टंगे बहुत से चश्मे लिए अभी-अभी एक गली से निकला था और अब एक बाद दुकान के सहारे अपना बाँस टिका रहा था तो इस बेचारे की दुकान भी नहीं हैफेरी लगाता हैहालदार साहब चक्कर में पड़ गएपूछना चाहते थेइसे कैप्टन क्यों कहते हैं क्या यही इसका वास्तविक नाम है ?
लेकिन पानवाले ने साफ बता दिया था कि वह इस बारे में और बात करने को तैयार नहींड्राइवर भी बैचेन हो रहा थाकाम भी थाहालदार साहब जीप में बैठ कर चले गए|
अ- कैप्टन का मजाक किसने उड़ाया और बुरा किसे लगा ?                      
ब- वह चश्मे किस तरह बेचता था ?                                       
स- उस बूढ़े व्यक्ति का नाम कैप्टन क्यों रखा गया था  ?                      
उत्तर-
अ- कैप्टन का मजाक पानवाले उड़ाया और हालदार साहब कोइसका बहुत बुरा लगा |
ब)-कैप्टन फेरी लगाकर चश्मा बेचा करता था |
स- कैप्टन की देश भक्ति भावना के कारण लोग उसे कैप्टन कहा करते थे |
(2)
बार-बार सोचते क्या होगा उस कौम का जो देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-जिंदगी सब कुछ होम कर देने वालों पर भी हँसती और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढती हैदुखी हो गए| 15 दिन बाद फिर उसी कस्बे से गुजरेकस्बे में घुसने से पहले ख्याल आया कि कस्बे की ह्रदय स्थली में सुभाष की प्रतिमा अवश्य ही प्रतिस्थापित होगी परन्तु सुभाष की आँखों पर चश्मा नहीं होगा|.........क्योंकि मास्टर बनाना भूल गया ..........और कैप्टन मर गया सोचा आज वहाँ रुकेंगे नहींपान भी नहीं खाएँगेमूर्ति की तरफ देखेंगे भी नहींसीधे निकल जाएँगेड्राइवर से कह दिया चौराहे पर रुकना नहींआज बहुत काम हैपान आगे कहीं खा लेंगे|लेकिन ड्राइवर आदत से मजबूर आँखें चौराहे आते ही मूर्ति की तरफ उठ गयींकुछ ऐसा देखा कि चीखे- रोको ! जीप स्पीड में थीड्राइवर ने जोर से ब्रेक मारेरास्ता चलते लोग देखने लगेजीप रुकते-न-रुकते हालदार साहब जीप से कूदकर तेज-तेज कदमों से मूर्ति की तरफ लपके और उसके ठीक सामने जाकर अटेंशन में खड़े हो गएमूर्ति की आँखों पर सरकंडे से बना छोटा चश्मा रखा हुआ थाजैसे बच्चे बना लेते हैं हालदार साहब भावुक हैंइतनी सी बात पर उनकी आँखें भर आयीं |
अ-हालदार साहब स्वभाव से किस प्रकार के इन्सान थे ?                 
ब-लोगों ने किसकी हँसी उड़ाई ?                                     स-सुभाष की मूर्ति को देखकर उनकी आँखें क्यों भर आयीं ?                 
उत्तर-
अ-     हालदार साहब स्वभाव से भावुक देशभक्त हैं जो स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान सहन नहीं कर सकते | 
ब- लोगों ने चश्मे वाले की हँसी उड़ाई |  
स- क्योंकि सुभाष की मूर्ति पर लगा चश्मा बच्चों के हाथों से बना सरकंडे का था इसलिए उन्हें विश्वास हो गया था कि हमारे देश के व्यक्तियों में देशभक्ति की भावना अभी समाप्त नहीं हुई हैविशेषकर बच्चों में |  
लघूत्तरीय प्रश्न
1-पानवाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए-
उ- पानवाला स्वभाव से बहुत ही रसियाहँसोड़और मजाकिया थावह शरीर से मोटा थाउसकी तोंद निकली रहती थी|उसके मुँह में पान ठुंसा रहता थापान के कारण वह ठीक से बात तक नहीं कर पाता था और हँसने पर उसके लाल-काले दांत खिल उठते थेवह बातें बनाने में उस्ताद थाउसकी बोली में हँसी और व्यंग्य का पुट बना रहता था|
2-तब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात देखा नहीं था तब तक उनके मानस पटल पर उसका कौनसा चित्र रहा होगा ?
उ-जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को अपनी आँखों से देखा नहीं था तब तक उनके मन में कैप्टन की मूर्ति कुछ और थी और उन्होंने सोचा था कि कैप्टन शरीर से हट्टा-कट्टा मजबूत होगा वह ज़रूर सिर पर फौजी टोपी पहनता होगा वह रौबदारअनुशासित और दबंग मनुष्य होगा जिसकी वाणी में भारीपन होगा |
3-चश्मेवाल मूर्ति का चश्मा बार-बार क्यों बदल देता था ?
उ-सुभाष चन्द्र बोस की मूर्ति पर चश्मा नहीं थाइसी कमी की पूर्ति कैप्टन किया करता थावह चश्मे बेचा करता थाअगर कोई ग्राहक मूर्ति पर लगा फ्रेम माँग लेता तो कैप्टन वह फ्रेम उतारकर उसकी जगह अन्य फ्रेम लगा देता थाइस प्रकार मूर्ति पर चश्मे बदलते रहते थे |
4-‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के आधार पर सपष्ट कीजिए कि देश प्रेम प्रकट करने के लिए सैनिक होना ही आवश्यक नहीं है ?
उ- देश प्रेम प्रकट करने के लिए बडे-बड़े नारों की आवश्यकता नहीं है न ही सैनिक होने की आवश्यकता हैदेश प्रेम तो छोटी-छोटी बातों से प्रकट हो सकता हैयदि हमारे मन में देश के प्रति प्रेम है तो हम देश की हर छोटी से छोटी कमी को पूरा करने में अपना योगदान दे सकते हैं|’ नेताजी का चश्मा’ पाठ में कैप्टन ने मूर्ति पर चश्मा लगाकर इसी बात को उजागर किया है |

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