ल्हासा की ओर : राहुल सांकृत्यायन
प्रश्न 1 उस समय के तिब्बत में
हथियार का कानून न रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकार का भय बना रहता था?
उत्तर उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून न रहने के कारण
यात्रियों को हमेशा अपने जान और माल का खतरा बना रहता था | वहां के लोग आत्मरक्षा
के लिए खुलेआम हथियार लेकर घूमते रहते थे | वहां अनेक निर्जन स्थान हैं, जहाँ डाकुओं को किसी का
भय नहीं था | ऐसे स्थानों पर पुलिस का भी प्रबंध नहीं होता है | ऐसे में डाकू यात्रियों
की पहले हत्या करता है, फिर मॉल लूटते हैं |
प्रश्न 2 लेखक लंडकोर के मार्ग
में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गया था?
उत्तर लेखक लंडकोर के मार्ग में अपने साथियों से पिछड़ गया
था क्योंकि लेखक का घोडा धीरे – धीरे चल रहा था, घोड़े के सुस्त पड़ने से लेखक अपने साथियों से बिछड़ गया था और अकेले में रास्ता
भूल गया था, वह दूसरे रस्ते पर डेढ़ – दो मील चलता गया और फिर कापल आकर दूसरे रस्ते पर आ गया |
प्रश्न 3 ‘ल्हासा की ओर ’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिये कि
वहां की महिलाओं की स्थिति अच्छी है |
उत्तर ‘ल्हासा की ओर ’ पाठ के आधार पर ज्ञात होता है कि वहां की महिलाओं की
स्थिति अच्छी है | वहां पर्दा प्रथा नही है | वे स्वतंत्र विचारों वाली हैं | वे अपरिचितों का भी आतिथ्य सत्कार करती है | समाज में उनकी स्थिति
महत्वपूर्ण है | उन्हें पुरुषों की वैचारिक दासता नहीं स्वीकारनी पड़ती हैं |
प्रश्न 4 लेखक को भिखमंगों का
वेश बनाकर यात्रा क्यों करनी पड़ी?
उत्तर तिब्बत के पहाड़ों में में लूटपाट और हत्या का भय बना
रहता है | अधिकतर हत्याएं लूटपाट के इरादे से होती है | लेखक ने डाकुओं से
सुरक्षित होने का उपाय किया | इसलिए लेखक ने भिखमंगों का वेश धारण करना पड़ा |
प्रश्न 5 भारत की तरह तिब्बत में
भी ‘अतिथि देवो भव’ की प्रथा है, पाठ के आधार पर स्पष्ट करो |
उत्तर तिब्बत में अपरिचित व्यक्तियों को भी महिलाएं चाय
बनाकर दे देती हैं | वह उनसे पर्दा नहीं करती है | अगर किसी व्यक्ति को डर है कि सारा मक्खन उसकी चाय में नहीं पड़ेगा तो वह खुद
जाकर चाय मथकर ला सकता है | इस तरह हम कह सकते हैं कि भारत की तरह तिब्बत में भी ‘अतिथि देवो भव’ की प्रथा है |
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