साँवले सपनों की याद-
इस
हुजूम में आगे आगे चल रहे हैं ,सलीम अली |
अपने कंधे पर सैलानियों की तरह अपने
अंतहीन सफर का बोझ उठाए | लेकिन यह सफर पिछले तमाम सफरों से
भिन्न है | भीड़–भाड़ की ज़िंदगी और तनाव के माहौल से
सालिम अली का यह आखिरी पलायन है | अब तो वो उस वन पक्षी की तरह
प्रकृति में विलीन हो रहें है, जो
ज़िंदगी का आखिरी गीत गाने के बाद मौत की गोद में
जा बसा हो | कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन
देख कर भी उसे लौटना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत कैसे गा सकेगा |
1) सालिम अली की यह सफर अन्य सफ़रो से किस प्रकार भिन्न है ?2
2)कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी
अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा ?2
3) सालिम अली पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा क्यों नहीं गा सकेगा ?1
उत्तर
:
1)सालिम अली इससे पहले सफर में निकले थे तब उनके गले में दूरबीन लटकाए दुर्लभ
जानकारियों के साथ लौटते थे किन्तु इस बार ये अंत हीन सफर का बोझ उठाए जा रहे है | जहां से कोई लौटकर नहीं आत है |
2) सालिम अली अनूठे पक्षीप्रेमी थे | लेखक ने उनकी तुलना ऐसे पक्षी से की है जो अपने जीवन की लंबी यात्रा कर मौत
की गोद में सो गया है जिसे दूसरों के शरीर की गर्मी और दिल की धड़कन देकर भी जीवित
नहीं किया जा सकता है |
अर्थात उनके समान कोई अन्य पक्षी प्रेमी इस तरह उत्पन्न नहीं किया जा सकता |
3) सालिम अली पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा इसलिए नहीं गा सकेगा क्योंकि वह अब
मृत्यु को प्राप्त हो चुका है |
2 नैसर्गिक ज़िंदगी का प्रतिरूप बन गाए थे | सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाए अथाह सागर बनकर उभरे
थे | जो लोग उनके भ्रमणशील स्वभाव से
परिचित है, उन्हें महसूस होता
है कि वो आज भी पक्षियों के सुराग में ही निकले है, और वह अभी गले में लंबी दूरबीन लटकाए अपने खोजपूर्ण नतीजों के साथ लौट आएंगे | जब तक वो नहीं लौटते, क्या उन्हें गया हुआ मान लिया जाए ! मेरी आँखें नम हैं, सालिम अली, तुम लौटोगेना !
1)सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाए अथाह सागर बनकर उभरे थे
| आशय स्पष्ट कीजिए |2
2) सालिम अली तुम लौटोगेना ! लेखक ने एइसा क्यों कहा?2
3 ) भ्रमणशील स्वभाव और यायावारी का आशय क्या हैं ?1
उत्तर
:
1)सालिम अली पक्षियों की खोज में किसी स्थान विशेष तक सीमित नहीं रहे | उन्होनें स्वयं को किसी सीमा में कैद
नहीं किया | वे टापू की तरह
नहीं,सागर की तरह खुले
आचार-विचार और सोच वाले थे |
2)सालिम अली तुम लौटोगेना ! लेखक ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि लेखक सालिम अली के स्वभाव से भली-भाँति परिचित था | जब सालिम अली गले
में दूरबीन लटकाए तथा कंधे पर बोझ टांगे पक्षियों की खोज में निकलते थे तो वे कुछ
समय बाद दुर्लभ जानकारी लिए लौट आते थे | लेखक को आज भी लग रहा है कि सालिम अली इस सफर से शायद लौट आए |
3) भ्रमणशील स्वभाव और यायावारी का आशय हैं-घूमना–फिरना |
लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर (2x 5 अंक )
1)किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी
बना दिया ?
उत्तर-बचपन
के दिनों में,उनकी एयरगन से घायल होकर गिरने
वाली नीलकंठ की वह गोरैया सारी ज़िंदगी उन्हें खोज के नए-नए रास्तों की तरफ ले जाती रही | इस घटना ने सालिम अली के जीवन की
दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया ?
2)सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबन्धित किन संभावित
खतरों का चित्र खींचा होगा कि जिससे उनकी आँखें नम हो गई थीं ?
उत्तर- सालिम अली ने उन्हें बताया होगा कि पर्यावरण में आ रहें बदलाव के कारण अनेक
पक्षी लुप्त होने के कगार पर है | भविष्य
में हम इन में से अनेक दुर्लभ पक्षियों को देख नहीं सकेंगे | गाँव की खेती भी इससे प्रभावित
होगी | यह सुनकर चौधरी चरणसिंह के आँखें
नम हो गई होगी |
3)लौरेंस की पत्नी फ्रीड़ा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मेरी छत पर बैठने वाली
गोरैया लौरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है ?
उत्तर – लौरेंस की पत्नी ने ऐसा इसलिए कहा होगा क्योंकि लौरेंस प्रकृति प्रेमी थे और
प्रकृति को सजीव मानकर उनसे सीधे जुड़े होंगे | वे
अक्सर पक्षियों की दुनिया में जाकर उनका अवलोकन करते होंगे |
(4)आशय स्पष्ट कीजिए –
उत्तर- कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धडकन देकर भी उसे लौटना चाहे तो वह पक्षी
अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा !
उत्तर–इसका
आशय यह है की सालिम आली पक्षियों की दुनिया छोड़कर जा चुके हैं | उनका निधन हो चुका हैं इसलिए कोई
उन्हे शरीर की गर्मी और ढरकन देकर जीवित करना चाहते तो यह असंभव हैं |
(5) सालिम आली और डी एच लौरेंस में क्या समानता थी ?
उत्तर-सालिम
आली पक्षी विज्ञानी थे और डी एच लौरेंस कवि और उपन्यासकार थे |वे दोनों प्रकृति प्रेमी थे | उनका प्रकृति से गहरा लगाव तथा
संबंध था | दोनों प्रकृति की सुरक्षा करके
मानव जीवन को बचना चाहते थे |
दोनों को प्रकृति से लगाव था तथा वे उनको
लुप्त होने से बचाना चाहते थे |
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