Total Pageviews

मेरे बचपन के दिन /गद्यांश


मेरे बचपन के दिन ( महादेवी वर्मा )

          राखी के दिन बहन राखी बांध जाए तब ताज भाई को निराहार रहना चाहिए | बार-बार कहलाती थीभाई भूखा बैठा है राखी बँधवाने के लिए | फिर हम लोग जाते हैं | हमको लहरिये या कुछ मिलते थे | इसी तरह मुहर्रम में हरे कपड़े उनके बनते थे तो हमारे भी बनते थे | फिर एक हमारा छोटा भाई हुआ वहाँ, तो ताई साहिबा ने पिताजी से कहा, देवर साहब से कहो वो मेरा नेग ठीक करके रखे | मैं शाम को आऊँगी | वे कपड़े वपड़े लेकर आई | हमारी माँ को वे दुल्हन कहती थी |
प्रश्न-
 ) राखी बांधने का क्या नियम था ?
) राखी और मुर्रहम पर इन्हे क्या उपहार मिलते थे ?
) लेखिका के छोटे भाई के जन्मदिन पर ताई ने क्या किया ?
) लेखिका की माँ को ताई साहिबा क्या कहती थी ? लेखिका के पिता को उन्होंने क्या संदेश दिया ?
) निराहार का संधि विच्छेद कीजिये |

उत्तर-
 ) राखी बांधने का यह नियम था की जब तक बहन भाई को राखी न बंधे तब तक भाई को खाना नहीं खाना चाहिए | उन्हे भूखा रहना पड़ेगा |

) राखी पर इन्हे  लहरिये और मुहर्रम पर उन्हे हरे कपड़े मिलते हैं |

) लेखिका के छोटे भाई को ताई साहिबा ने कपड़े दिये और कहा कि नए बच्चे को छह महिने तक चाची ताई के कपड़े पहनाए जाते हैं |

) लेखिका की माँ को ताई दुल्हन कहती थी | लेखिका के पिता को कहा कि देवर साहब से कहो कि वे उनका नेग तैयार करके रखे |

) निर+आहार |  

No comments:

Post a Comment