किस तरह आखिरकार मैं किसी तरह हिन्दी में आया (शमशेर बहादुरसिंह )
1)लेखक ने बच्चन के व्यक्तित्व के किन-किन रूपों को उभारा है ?
उत्तर- इस पाठ में लेखक ने बच्चनजी के व्यक्तित्व के अनेक रूपों को उभारा है
उत्तर- इस पाठ में लेखक ने बच्चनजी के व्यक्तित्व के अनेक रूपों को उभारा है
जिनमें
से कुछ निम्नलिखित है –
*बच्चन जी अत्यंत दयालु थे |
उनका हृदय मक्खन सा मुलायम था |
*उनका स्वभाव संघर्षशील,
प्रेरणादायी, परोपकारी तथा
फौलादी संकल्प वाला था |
*उनमे किसी प्रकार छल-कपट न था |
*नए साहित्यकारों की मदद- धन, समय, प्रेरणा आदि के माध्यम से किया करते थे |
*वे वाणी के धनी | जो कहते थे, उसे पूरा अवश्य करते थे |
*वे समय के अत्यंत पाबंदी थे |
माटीवाली : विद्यासागर नौटियाल
प्रश्न 1 माटीवाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का वक्त
नहीं था, क्यों ?
उत्तर-- भूख किसी स्वाद को नहीं पहचानती | जब कोई व्यक्ति वास्तव
में भूखा हो, उसका पेट पूरी तरह लंबे
समय से खाली हो तो वह उसे भरने के लिए स्वाद नहीं माँगता | वह किसी भी तरह भरना
चाहता है | उसे रूखी-सूखी रोटी भी अच्छी
लगती है | तब उसे किसी दाल-रोटी या सब्जी की
आवश्यकता नहीं होती | जब पेट भरा हो तब व्यक्ति, स्वाद को अच्छा या
बुरा बताता है | ‘भूख मीठी की भोजन मीठा’ से यही तात्पर्य है कि
जब भूख सता रही हो तो हर प्रकार का रूखा-सूखा भी मीठा लगता है|
प्रश्न 2 ‘भूख मीठी कि भोजन मीठा’ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर- माटीवाली का गाँव टिहरी
नगर से इतना दूर था कि उसे वहाँ पहुँचने केलिए कम से कम एक घंटा अवश्य लगता था | इतना ही समय उसे घर
वापिस आने में लगता था | वह सारा दिन माटाखान से खोद-खोदकर लाल मिट्टी अपने
कनस्तर में भरती और उसे घर-घर बेचती | सारे शहर में वह अकेली थी जो लाल मिट्टी पहुँचाती थी
| अति व्यस्तता और अपने
सरल स्वभाव के कारण उसके पास अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का
वक्त ही नहीं था |
प्रश्न 3 ‘गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए – इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए |
उत्तर- टिहरी बाँध के सुरंगों
के बंद होने से शहर में पानी भर गया | लोगों के घर तो बाढ़ में डूबे ही,साथ ही सारे श्मशान घाट
तक डूब गए | इस पर माटीवाली औरत का
कहना है कि -‘गरीब आदमी का श्मशान
नहीं उजड़ना चाहिए–’ इस कथन का आशय यह है
कि बाढ़ जैसी आपदाओं से गरीब कि झोपड़ी नष्ट नहीं होनी चाहिए | उनकी झोपड़ी तो पहले ही
श्मशान घाट है,जहाँ तो रोज़ाना वे मर-मरकर जीते हैं |इसके उजड़ जाने पर भला
वे कहाँ रहेंगे |
किस तरह आखिरकार मैं
किसी तरह हिन्दी में आया : शमशेर बहादुर सिंह
प्रश्न 1 लेखक को अँग्रेजी में कविता लिखने का अफसोस क्यों रहा होगा ?
उत्तर- लेखक घर में उर्दू के
वातावरण में पला था | उसकी भावनाओं कि अभिव्यक्ति या तो उर्दू भाषा नें
होती थी या अंग्रेजी भाषा में | हिन्दी के प्रतिष्ठित कवियों हरिवंशराय बच्चन,निराला औरपन्त से परिचय
होने पर लेजखक का रुझान हिन्दी की तरफ बढ़ा | बच्चन से तो लेखक विशेष रूप से प्रभावित थे | बच्चन हिन्दी के
विख्यात कवि थे | उनके नोट का जवाब लेखक ने अंग्रेजी में दिया था | बच्चन ने हिन्दी
साहित्य के प्रांगण में लेखक कों स्थापित किया था | हिन्दी के क्षेत्र में
अपने उच्च स्थान को पाकर ही लेखक को अपने अंग्रेजी में कविता लिखने का अफसोस रहा
होगा |
प्रश्न 2 अपनी कल्पना से लिखिए कि बच्चन ने लेखक के लिए ‘नोट’ में क्या लिखा होगा ?
उत्तर- बच्चन लेखक से मिलना
चाहते थे | परंतु लेखक उस समय
स्टूडियो में नहीं थे इस लिए बच्चन ने लेखक के लिए ‘नोट’ छोड़ा था | उस समय के प्रतिष्ठित
कवि द्वारा लेखक के लिए नोट छोड़ा जाना आनंददायक अनुभव रहा होगा | उसने लेखक के हदय पर
गहरी छाप छोड़ी थी | लेखक स्वय को कृतज्ञ महसूस कर रहा था | इससे लगता है कि बच्चन
ने लेखक के विषय में कुछ काव्य पंक्तियाँ लिखी होंगी तथा उनसे मिलने कि इच्छा भी
व्यक्त की होगी | यह भी हो सकता है कि बच्चन ने स्टूडियो में लेखक के
चित्र और कविताएँ देखि हों और उनके प्रति ‘नोट’ में अपना दृष्टिकोण
प्रकट किया हो |
प्रश्न 3 लेखक शमशेर बहादुर सिंह ने बच्चनजी के व्यक्तित्व के
किन-किन रूपों को उभरा हैं?
उत्तर- लेखक बच्चनजी के
सहदयमित्रों के शुभ चिंतक एव उनके कवि रूप को उजागर किया है | बच्चनजी की पत्नी भी
यौवन काल में ही स्वर्गवासी हो गई थी | बच्चनजी ने अपने इस अंदरूनी तूफ़ान के बावजूद किस
प्रकार अपने मित्रों की सहायता केलिए तत्पर रहते थे | वे अपने मित्रों को
नेक सलाह देते थे | वे उनको अच्छा आदमी बनाना चाहते थे |
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