नौबत खाने में इबादत - यतींद्र मिश्र
निम्नलिखित गद्यांश में से पूछे गए प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए -
1.
सचमुच हैरान करती है काशी - पक्का महल से जैसे मलाई बरफ गया, संगीत, साहित्य और अदब की बहुत सारी परंपराएँ लुप्त हो गई। एक सच्चे सुर साधक और सामाजिक की शांति बिस्मिल्ला खाँ साहब को इन सबकी कमी खलती है। काशी में जिस तरह बाबा विश्वनाथ और बिस्मिल्ला खाँ एक-दूसरे के पूरक रहे हैं, उसी तरह मुहर्रम -ताजिया और होली-अबीर, गुलाल की गंगा-जमुनी संस्कृति भी एक-दूसरे के पूरक रहे हैं। अभी जल्दी ही बहुत कुछ इतिहास बन चुका है। अभी आगे बहुत कुछ इतिहास बन जाएगा। पिफर भी कुछ बचा है जो सिर्फ काशी में हैं। काशी आज भी संगीत के स्वर पर जगती और उसी की थापों पर सोती है। काशी में मरण भी मंगल माना गया है। काशी आनंदकानन है। सबसे बड़ी बात है कि काशी के पास उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ जैसा लय और सुर की तमीज सिखाने वाला नायाब हीरा रहा है जो हमेशा से दो कौमों को एक होने व आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा ।
प्रश्न -
1. गंगा-जमुनी संस्कृति का क्या आशय है?
2. काशी में मरण को कैसा माना गया है?
3. उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ को किसके समान बताया गया है?
उत्तर -
1- मिली-जुली संस्कृति
2- काशी में मरण को मंगल माना गया है |
3- उस्ताद बिस्मिल्लाह को नायाब हीरे के समान बताया गया है |
2.
काशी संस्कृति की पाठशाला है। शास्त्रों में आनन्दकानन के नाम से प्रतिष्ठित। काशी में कलाध्र हनुमान व नृत्य विश्वनाथ है। काशी में बिस्मिल्ला खाँ हैं। काशी में हजारों सालों का इतिहास है जिसमें पंड़ित कंठे महाराज हैं, विद्याध्री हैं, बड़े रामदास जी हैं, मौजुद्दीन खाँ हैं व इन रसिकों से उपकृत होने वाला अपार जनसमूह है। यह एक अलग काशी है जिसकी अलग तहजीब है, अपनी बोली और अपने विशिष्ट लोग हैं। इनके अपने उत्सव हैं, अपना सेहरा-बन्ना और अपना नौहा। आप यहाँ संगीत को भक्ति से, भक्ति को किसी भी धर्म के कलाकार से, कजरी को चैती से, विश्वनाथ को विशालाक्षी से, बिस्मिल्ला खाँ को गंगाद्वार से अलग करके नहीं देख सकते।
प्रश्न -
1. काशी किसकी पाठशाला है?
2. शास्त्रों में काशी किस नाम से प्रसिद्ध है?
3. काशी का जनसमूह कैसा है?
उत्तर -
1- काशी को संस्कृति की पाठशाला कहा गया है ।
2- काशी आनन्द कानन के नाम से प्रसिद्ध है |
3- काशी का जनसमूह रसिकों से उपकृत है ।
3.
शहनाई के इसी मंगलध्वनि के नायक उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ साहब अस्सी बरस से सुर माँग रहे थे। सच्चे सुर की नेमत। अस्सी बरस की पाँचों वक्त बाली नमाज इसी सुर को पाने की प्रार्थना में खर्च हो जाती थी। लाखों सजदें इसी एक सच्चे सुर की इबादत में खुदा के आगे झुकते थे। वे नमाज के बाद सज़दे में गिड़गिड़ाते थे- मेंरे मालिक सुर बख्श दें। सुर में वह तासीर पैदा कर कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आए।
प्रश्न -
1. शहनाई की मंगल ध्वनि के नायक कौन थे ?
2. पाँचों वक्त की नमाज़ किसे पाने में खर्च हो जाती थी?
3. बिस्मिल्ला खाँ नमाज के बाद सज़दे में गिड़गिड़ाते हुए क्या माँगते थे?
उत्तर
1- शहनाई की मंगल ध्वनि के नायक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान थे |
2- पाँचों वक्त बाली नमाज सच्चे सुर को पाने की प्रार्थना में खर्च हो जाती थी।
3-वे सज़दे में गिड़गिड़ाते थे - मेंरे मालिक सुर बख्श दें। सुर में वह तासीर पैदा कर कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आए |
4.
अमीरुद्दीन की उम्र अभी 14 साल है। मसलन बिस्मिल्ला खाँ की उम्र अभी 14 साल है। वही काशी है। वही पुराना बाला जी का मंदिर जहाँ बिस्मिल्ला खाँ को नौबतखाने रियाज़ के लिए जाना पड़ता है। मगर एक रास्ता है बालाजी मंदिर तक जाने का। यह रास्ता रसूलन बाई और बतूलन बाई के यहाँ से होकर जाता है। इस रास्ते से अमीरुद्दीन को जाना अच्छा लगता है। इस रास्ते न जाने कितने तरह के बोल-बनाव कभी ठुमरी, कभी टप्पे, कभी दादरा के मापर्फत ड्योढ़ी तक पहुँचते रहते हैं। रसूलन बाई और बतूलन बाई जब गाती है तब अमीरुद्दीन को खुशी मिलती है। अपने ढेरों साक्षात्कारों में बिस्मिल्ला खाँ साहब ने स्वीकार किया है कि उन्हें अपने जीवन के आरंभिक दिनों में संगीत के प्रति आसत्तिफ इन्हीं गायिका बहिनों को सुनकर मिली है। एक प्रकार से उनकी अबोध् उम्र में अनुभव की स्लेट पर संगीत प्रेरणा की वर्णमाला रसूलन बाई और बतूलन बाई ने उकेरी है।
प्रश्न -
1. उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ के बचपन का क्या नाम था?
2. बालाजी मंदिर जाने का रास्ता किसके यहाँ से होकर गुजरता था?
3. रसूलन बाई एवं बतूलन बाई कौन थी?
उत्तर -
1- उनके बचपन का नाम अमीरुद्दीन था ।
2- बालाजी मंदिर जाने का रास्ता रसूलन बाई एवं बतूलन बाई नामक गायिका बहनों के यहाँ से होकर गुजरता था |
3- रसूलन बाई एवं बतूलन बाई को गायिका बहनें थीं |
लघूत्तरीय प्रश्न–
प्रश्न 1. शहनाई और डुमराँव एक दूसरे के लिए उपयोगी कैसे है?
उत्तर शहनाई बजाने के लिए रीड का प्रयोग किया जाता है। रीड ‘नरकट’ नामक एक घास से बनाई जाती है जो मुख्य रूप से डुमराँव में सोन नदी के किनारे पाई जाती है। इसी के कारण शहनाई जैसा वाद्य बजता है।
प्रश्न 2. संगीत में सम का आशय स्पष्ट करते हुए बताइए कि बिस्मिल्ला खां को सम की समझ कब और कैसे आ गई थी?
उत्तर संगीत में सम का आशय है संगीत का वह स्थान जहाँ लय की समाप्ति और ताल का आरंभ होता है। बिस्मिल्ला खां में सम की समझ बचपन में ही आ गई थी। जब वह अपने मामा अलीबख्श खां को शहनाई बजाते हुए सम पर आते सुनता तो धड से पत्थर ज़मीन पर मारकर दाद देता था।
प्रश्न 3 काशी को संस्कृति की पाठशाला क्यों कहा गया है?
उत्तर काशी संस्कृति की पाठशाला है यहाँ भारतीय शास्त्रों का ज्ञान है, कलाशिरोमणि यहाँ रहते हैं, यह हनुमान और विश्वनाथ की नगरी है यहाँ का इतिहास बहुत पुराना है, यहाँ प्रकांड ज्ञाता, धर्मगुरू और कलाप्रेमियों का निवास है।
प्रश्न 4. बिस्मिला खां दो कौमों में भाईचारे की प्रेरणा कैसे देते रहे?
उत्तर बिस्मिल्ला खां जाति से मुसलमान थे और धर्म की दृष्टि से इस्लाम धर्म को भेजने वाले पाँच वक्त नमाज पढ़ने वाले सच्चे मुसलमान। मुहर्रम से उनका विशेष जुड़ाव था। वे बिना किसी भेदभाव के हिन्दू, मुसलमान दोनों के उत्सवों में मंगल ध्वनि बजाते थे। उनके मन में बालाजी के प्रति विशेष श्रद्धा - थी। वे काशी से बाहर होने पर भी विश्वनाथ और बालाजी मंदिर की दिशा की ओर मुँह करके बैठते और शहनाई बजाते थे। इस प्रकार वे दो कौमों को एक होने व आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देते रहे।
प्रश्न 5. बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया?
उत्तर हमें बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की सादगी, फकीरी स्वभाव, स्वाभिमान तथा कला की प्रति उनकी अनन्य भक्ति और समर्पण ने प्रभावित किया है। वे अपने जीवन में अपने मज़हब के प्रति अत्यध्कि समर्पित होते हुए भी किसी धर्म और जाति की संकीर्णताओं में नहीं बंध्े। सच्चे मुसलमान होते हुए भी काशी के बाबा विश्वनाथ और बालाजी के प्रति श्रध्दा - रखना उनके व्यक्तित्व की अन्यतम विशेषता है। भारत रत्न जैसी सम्मानित उपाधिमिलने के बाद भी उनके व्यक्तित्व में किसी प्रकार का अहंकार नहीं आने पाया। फटा हुआ तहमद बाँधकर ही वे सभी आगंतुकों से मिलते थे यह उनके व्यक्तित्व की सादगी और फकीराना स्वभाव का ही परिचायक है।
प्रश्न 6. काशी में सब कुछ एकाकार कैसे हो गया है?
उत्तर काशी में संगीत भक्ति से, भक्ति कलाकार से, कजरी चैती से, विश्वनाथ विशालाक्षी से, और बिस्मिल्ला खाँ गंगाद्वार से मिलकर एक हो गए हैं, इन्हें अलग-अलग करके देखना संभव नहीं है।
प्रश्न 7. शहनाई की दुनिया में डुमराँव को क्यों याद किया जाता है?
उत्तर 1. डुमराँव गाँव की सोन नदी के किनारों पर पाई जाने वाली नरकट घास से शहनाई की रीड बनती है।
2. प्रसिद्ध शहनाई वादक बिस्मिल्ला खाँ की जन्मस्थली डुमराँव गाँव ही है।
3. बिस्मिल्ला खाँ के परदादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ डुमराँव के ही निवासी थे। इन्हीं कारणों से शहनाई की दुनिया में डुमराँव को याद किया जाता है।
प्रश्न 8. सुषिर वाद्यों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर सुषिर वाद्यों से अभिप्राय है-फूँककर बजाए जाने वाले वाद्य। जैसे - शहनाई, बीन, बाँसुरी आदि।
प्रश्न 9. शहनाई को सुषिर वाद्यों में शाह की उपाध् क्यों दी गई होगी?
उत्तर शहनाई को सुषिर वाद्यों में शाह की उपाधि देने के कारण निम्नलिखित रहे होंगे -
1. फूँककर बजाए जाने वाले वाद्यों में शहनाई सबसे अध्कि सुरीली है।
2. मांगलिक विधिविधानों में इसका उपयोग होता है।
प्र.10. बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगल ध्वनि का नायक क्यों कहा गया है?
उत्तर बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगल ध्वनि का नायक निम्नलिखित कारणों से कहा गया है -
1. अपना सानी न रखने के कारण।
2. मंगल का परिवेश प्रतिष्ठित करवाने वाले होने के कारण।
प्रश्न 11. बिस्मिल्ला खाँ की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए ।
उत्तर 1. ईश्वर में आस्था 2. कला प्रेमी 3. भावुक
4. सादा जीवन उच्च विचार वाले 5. संगीत प्रेमी 6. लग्नशील, मानवता प्रेमी
प्रश्न 12. बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई में क्या-क्या समाया हुआ है?
उत्तर बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई में संगीत के सातों सुर, स्वयं परवरदिगार, गंगा माँ तथा उनके उस्ताद की नसीहतें समाई हुई है।
प्रश्न 13. काशी में हो रहे कौन-कौन से परिवर्तन बिस्मिल्ला खाँ को व्यथित करते थे?
उत्तर काशी में हो रहे निम्नलिखित परिवर्तन बिस्मिल्ला खाँ को व्यथित करते थे -
1. संगीत साहित्य और अदब की बहुत-सी परम्पराओं का लुप्त होना।
2. खान-पान संबंध्ी पुरानी चीजें न मिलना।
3.गायकों के मन में संगतियों के प्रति आदर न रहना।
4. गायक द्वारा रियाज़ करने में कमी।
5. सांप्रदायिक सद्भाव का कम होना।
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