रीढ़ की हड्डी ( जगदीश चन्द्र माथुर )
(1)“आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी है भी या नहीं ...” उमा इस कथन के माध्यम से शंकर की किन कमियों की ओर संकेत करना चाहती है ?
उत्तर- “आपके लाडले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं ...” उमा इस कथन के माध्यम से शंकर की निम्नलिखित कमियों की ओर संकेत करना चाहती है
–
*गोपाल प्रसाद उमा की शिक्षा,
उसके गुण,चाल–ढाल तथा खूबसूरती के विषय में जानना चाहते है पर अपने बेटे के बारे में तनिक भी ध्यान नहीं देते है |
*गोपाल प्रसाद मेडिकल कालेज की पढ़ाई कर रहे अपने बेटे को बहुत समझते है, पर वास्तव मे ऐसा नहीं है |
*उसका चरित्र भी बहुत अच्छा नहीं है | वह छात्रावास में लड़कियों के हॉस्टल का चक्कर लगाते हुए पकड़ा गया था |
*उसमें आत्म विश्वास की कमी है
*वह बहुत झुककर चलता है |
उसकी शारीरिक बनावट भी कुछ अच्छी नहीं है |
(2) शंकर जैसे लकड़े या उमा जैसी लड़की समाज को
कैसे व्यक्तित्व की जरूरत है ?
तर्क सहित उत्तर दीजिए |
उत्तर– समाज को उमा जैसे व्यक्तित्व की जरूरत है
| उमा चरित्रवान है | वह बी.ए पास उच्च शिक्षित लड़की है | वह
स्त्रियों की चेतना तथा स्वतन्त्रता के बारे में सोचती है वह लड़का-लड़कियों में भेद करने वालों,उसकी
शिक्षा में भेद करने वालों को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखती है | वह साहसी भी है उसके पिता रामस्वरुप,गोपाल प्रसाद से उमा की शिक्षा को छिपा
जाते है परंतु गोपाल प्रसाद के पूछने पर अपनी शिक्षा के बारे में दृढ़तापूर्वक बता
देती है | इसके विपरीत शंकर
स्वयं तो उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहा है,परंतु वह नहीं चाहता है कि उसकी पत्नी भी पढ़ी-लिखी हो | उसका चरित्र भी
दुर्बल है वह अपने अध्ययन के प्रति लापरवाह है | वह अपना अध्ययन छोड़ लड़कियों के
हॉस्टल का चक्कर लगाते हुए पकड़ा जाता है | अत: समाज को शंकर जैसे
व्यक्तित्व की जरूरत नहीं है |
रीढ़ की हड्डी : जगदीश चन्द्र माथुर
प्रश्न 1 “रीढ़ की हड्डी”शीर्षक की सार्थकता
स्पष्ट कीजिए |
उत्तर- रीढ़ कि हड्डी एक
सामाजिक एकांकी हैं | इस एकांकी में लेखक समाज की रूढ़ियों पर प्रहार किया
हैं | गोपाल प्रसाद अपने
बेटे शंकर के लिए कम पढ़ी-लिखी किन्तु अत्यंत सुंदर बहू चाहते हैं | वे यह भी चाहते हैं कि
लड़की प्रत्येक कार्य में निपुण हो| उसे गाना-बजाना, सिलाई-कढ़ाई, बुनाई और अन्य सभी
कार्य आते हों | वे उमा से तरह-तरह के सवाल पूछते हैं | उनमे लड़के का पिता
होने कि ऐंठ हैं | वे चाहते हैं कि लड़की सर्वगुण सम्पन्न हो किन्तु
एकांकी के अंत में पता चलता हैं कि उनका अपना लड़का शंकर तो किसी प्रकार भी पूर्ण
नहीं हैं | वह चरित्रहीन तो हैं
ही साथ ही शारीरिक दृष्टि से अपंग भी हैं | वह ठीक प्रकार से खड़ा नहीं हो पाता क्योंकि उसकी रीढ़
की हड्डी ही नहीं हैं | इस प्रकार इस एकांकी का शीर्षक ‘रीढ़ की हड्डी’ अत्यंत सार्थक हैं |
प्रश्न 2 “रीढ़ की हड्डी” एकांकी का उद्देश्य
क्या है ? लिखिए |
उत्तर- ‘रीढ़ की हड्डी’ एक महत्व पूर्ण एकांकी
है | इस एकांकी में लेखक ने
स्पष्ट किया है कि लड़का-लड़की में भेद-भाव करना उचित नहीं है | लड़की भी उच्च शिक्षा
के साथ-साथ सम्मान की
अधिकारिणी है | विवाह के नाम पर उससे
तरह-तरह के सवाल पूछ कर उसे
अपमानित करना उचित नहीं है | आज लड़कियाँ भी लड़कों के ही समान उच्च शिक्षा प्राप्त
कर रही हैं | अत:उन्हें भी उचित सम्मान
मिलना चाहिए | लेखक ने गोपाल प्रसाद
जैसे रूढ़िवादी विचारधारा के लोगों पर प्रहार भी किया है | ऐसे लोग जो नारी को
समस्त अधिकारों से वंचित रखना चाहते है और उसे अपमानित करते हैं ,उन्हें स्वय अपमानित
होना पड़ता है | इस प्रकार लेखक ने इस
एकांकी में लड़का और लड़की का भेद-भाव समाप्त करते हुए शंकर जैसे लड़कों की अपेक्षा उमा
जैसी लड़की की समाज को आवश्यकता है |
प्रश्न 3 “आपके लाडले बेटे की रीढ़ की हड्डी है भी या नहीं ...” उमा इस कथन के माध्यम
से शंकर की किन कमियों की ओर संकेत करना चाहती है
?
उत्तर शंकर बिना रीढ़ की हड्डी
के है, अर्थात व्यक्तित्वहीन
है | उसका कोई निजी मत
स्थान या महत्व नहीं है | वह दूसरों के हाथों की कठपुतली है | उसमें विवेक की कमी नजर आती है | वह एक सफ़ल पति बनने के
योग्य नहीं है | शंकर लड़कियों का पीछा
कर-करके अपनी रीढ़ की हड्डी
तुड़वा बैठा है | वह लंपट, दुष्चरित्र और अपमानित
किश्म का लड़का है | वह शरीर से दुर्बल है |वह सही में विवाह के
योग्य नहीं है |
प्रश्न 4 ‘उमा का स्वर आज की नारी का स्वर है |’ इस कथन के आलोक में अपने विचार लिखिए |
उत्तर- उमा का स्वर आज की नारी
का स्वर है |’ इस कथन के संदर्भ में
उमा बाबू गोपाल प्रसाद और शंकर को खरी-खरी सुनाती है | वह लड़कियों के जाँच-पड़ताल के तरीके पर गहरी
आपत्ति प्रकट करती है | वह कहती है –लड़कियों को देखने के
नाम पर उनकी नाप-तोल करना अपमानजनक है | इससे उनको मानसिक कष्ट
होता है | वे कुर्सी–मेज़ की तरह बेजान नहीं
है कि उन्हें खरीद लिया जाए | ऐसा आदमी जो लड़कियों को भेड़–बकरी समझता है, खुद कसाई के समान होता
है |
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