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संगतकार - मंगलेश डबराल


संगतकार - मंगलेश डबराल
काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए -
1.
गायक जब अंतरे की जटिल तानों के जंगल में
 खो चुका होता है
 या अपने ही सरगम को लाँघकर
 चला जाता है भटकता हुआ एक अनहद में
 तब संगतकार ही स्थायी को सँभाले रहता है
 जैसे समेटता हो मुख्य गायक का पीछे छूटा हुआ सामान
 जैसे उसे याद दिलाता हो उसका बचपन
 जब वह नौसिखिया था
प्रश्न 1. पद में अनहद’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- अनहद’ का अर्थ है सीमा से परेअसीम या दिव्य लोक जहाँ स्वर्गिक आनंद की अनुभूति हो।
प्रश्न 2. अंतरे की तानों को जंगल क्यों कहा गया है?
उत्तर अंतरे की तानों को जंगल कहा गया है क्योंकि गाते वक्त गायक अंतरे में ही उलझकर रह जाता है और स्थायी को भूल जाता है।
प्रश्न 3. ‘स्थायी’ का क्या अर्थ होता है?
उत्तर स्थायी का अर्थ है किसी भी गाने की मुख्य पंक्ति या टेकजो गीत को गाते वक्त बीच-बीच में दोहराई जाती है।
प्रश्न 4. संगतकार क्या कार्य करता है?
उत्तर- जब मुख्य गायक अपने गीत में ही डूब जाता है तब संगतकार उसे वापस मूल स्वर में ले आता है और उसे भटकने नहीं देता।
प्रश्न.5 कवि एवं कविता का नाम लिखो.
उत्तर. मंगलेश डबराल एवं संगतकार |
2.
कभी-कभी वह यों ही दे देता है उसका साथ
 यह बताने के लिए कि वह अकेला नहीं है
 और यह कि पिफर से गाया जा सकता है
 गाया जा चुका राग
 और उसकी आवाज में जो एक हिचक साफ सुनाई देती है
 या अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश है
 उसे विफलता नहीं
 उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।
प्रश्न 1. संगतकार की अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की कोशिश को उसकी मनुष्यता क्यों समझा जाना चाहिए?
उत्तर क्योंकि संगतकार स्वयं को पीछे रखकर तथा गुमनाम रहकर मुख्य गायक को आगे बढ़ाने का काम कर रहा है। जितनी भी प्रशंसा होगी वह मुख्य गायक को मिलेगी और संगतकार को कोई जानेगा तक नहीं पिफर भी वह अपने स्वर को नीचा रखता है।
प्रश्न 2. संगतकार मुख्य गायक का साथ क्यों देता है?
उत्तर संगतकार मुख्य गायक को भटकने से बचाने के लिए तथा उसका उत्साह बढ़ाने के लिए उसका साथ देता है।
प्रश्न 3. पद की भाषा पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर भाषा सरल खड़ी बोली हिंदी है।
प्रश्न 4. ‘संगतकार’ कविता के आधर पर स्पष्ट कीजिए कि संगतकार जैसे व्यक्ति सर्वगुणसम्पन्न होकर भी समाज में अग्रिम न आकर प्रायः पीछे ही क्यों रहते हैं?
उत्तर संगतकार’ प्रवृत्ति के लोग छल-प्रपंच से दूर  होते हैं। वे मुख्य कलाकार के सहयोगी होते हैं। अपने प्रति विश्वास को खत्म नहीं करना चाहते है। दूसरे की विशेषताओं को तराशने और सुधरने में लगे रहते हैं और इसे ही अपना कर्तव्य समझते हैं।
प्रश्न 5. संगतकार की आवाज में एक हिचक क्यों सुनाई देती है?
उत्तर संगतकार की आवाज में एक हिचक साफ सुनाई देती है क्योंकि वह जान बूझकर अपनी आवाज को मुख्य गायक से ऊपर नहीं उठने देता। क्योंकि उसका कर्त्तव्य मुख्य कलाकार को सहारा प्रदान करना हैअपनी कला का प्रदर्शन करना नहीं।
लघूत्तरीय प्रश्न -
प्रश्न 1. संगतकार के माध्यम से कवि किन प्रकार के व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है?
उत्तर संगतकार के माध्यम से कवि सहायक कलाकारों के महत्त्व की ओर संकेत कर रहा है। ये सहायक कलाकार खुद को पीछे रखकर मुख्य कलाकार को आगे बढ़ने में योगदान देते है। यह बात जीवन के हर क्षेत्रा में लागू होती है।
प्रश्न 2. संगतकार की आवाज में एक हिचक क्यों सुनाई देती है?
उत्तर संगतकार की आवाज में एक हिचक साफ सुनाई देती है क्योंकि वह जान बूझकर अपनी आवाज को मुख्य गायक से ऊपर नहीं उठने देता। क्योंकि उसका कर्त्तव्य मुख्य कलाकार को सहारा प्रदान करना हैअपनी कला का प्रदर्शन करना नहीं।
प्रश्न 3. सफलता के चरम-शिखर पर पहुँचने के दौरान यदि व्यक्ति लड़खड़ाता हैतब उसे सहयोगी किस तरह संभालते हैं
उत्तर सफलता के चरम-शिखर पर पहुँचने के दौरान लड़खड़ाते व्यक्ति को उसके सहयोगी विशम परिस्थितियों में उसके साथ रहने का विश्वास देकर उसका आत्मबल बनाए रखने का भरसक प्रयास करते हैं। स्वयं आगे आकर सुरक्षा-कवच बनकर उसके पौरुश की प्रशंसा करते हैं। उसके लड़खड़ाने का कारण ढूँढ़ते हैं और उन कारणों का समाधान करने के लिए सहयोगी अपनी पूरी शक्ति लगा देते हैं। आत्मीयता से पूर्णरुपेण सहयोग करते हैं।
प्रश्न 4. ‘संगतकार’ कविता के आधर पर स्पष्ट कीजिए कि संगतकार जैसे व्यक्ति सर्वगुणसम्पन्न होकर भी समाज में अग्रिम न आकर प्रायः पीछे ही क्यों रहते हैं?
उत्तर संगतकार’ प्रवृत्ति के लोग छल-प्रपंच से दूरश्रद्धा के धनी होते हैं। वे मुख्य कलाकार के सहयोगी होते हैं। अपने प्रति विश्वास को खत्म नहीं करना चाहते है। दूसरे की विशेषताओं को तराशने और सुधरने में लगे रहते हैं और इसे ही अपना कर्तव्य समझते हैं।
प्रश्न 5. ‘संगतकार’ कविता में कवि क्या सन्देश देना चाहते हैं?
उत्तर कवि की संगतकार के प्रति सहानुभूति है। उसकी दृष्टि में संगतकार मुख्य गायक के समान ही सराहनीय है। मुख्य-गायक की सफलता में संगतकार का श्रेय कम करके नहीं देखना चाहिए। यद्यपि मुख्य गायक के बिना संगतकार का अस्तित्व नहीं है। किन्तु मुख्य गायक की सफलता अध्किांशतः संगतकार के सफल सहयोग पर निर्भर है। मुख्य गायक के निराश होने परविश्वास लड़खड़ाने परस्वर बिगड़ने परउसके तारसप्तक में चले जाने पर संगतकार ही उसे संभालता है। संगतकार के बिना मुख्य-गायक की सफलता संदिग्ध् रहती है। अतः मुख्य गायक की सफलता में दोनों ही समान रूप से सम्मानीय और प्रशंसनीय हैं।

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