‘माटीवाली’–(लेखक-विद्यासागर
नौटियाल )
(1)आज माटीवाली बुड्ढे को कोरी रोटियाँ नहीं देगी– इस कथन के आधार पर माटीवाली के हदय के भावोंको अपने शब्दों में लिखिए |
उत्तर- माटीवाली को घर-घर माटी पहुँचाने
से इतनी आय नहीं हो पति थी कि वह साग या सब्जी खरीद सके | उसे घर कि मालकिनों से जो एक दो रोटियाँ मिल जाती थी उन्हें बचाकर अपने बीमार
पति केलिए ले जाती थी | उन
रोटियों को बिना साग या सब्जी से वह खा लिया करता था | माटीवाली इस बात से दुखी है पर विवश है कि वह कुछ कर भी नहीं सकती है | उस दिन जब वह तीन रोटियाँ बचाकर ले आ
रही थी तो सोच रही थी कि आज वह प्याज खरीद कर ले जाएगी और बुड्ढे को रोटियों के
साथ प्याज भी कूटकर देगी | रोज
सूखी रोटियाँ खाने वाला उसका बीमार पति आज तो साग के साथ रोटियाँ खा लेगा |
(1) “गरीब आदमी का
शमसान नहीं उजाड़ना चाहिए”इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए|
उत्तर- “गरीब आदमी का शमसान नहीं उजाड़ना चाहिए” इस कथन के माध्यम से गहरा व्यंग्य किया गया है | आम आदमी या गरीब का जब घर उजड़ता है या विस्थापित होता है तो इसका दर्द बड़ी गहराई से वह महसूस करता है | यह पीड़ा शरीर से प्राण निकलने जैसी होती
है गरीब व्यक्ति के पास रहने का अन्य साधन न होने के कारण उसके लिए घर तथा शमशान
में कोई अंतर नहीं होता है |
माटी वाली सोचती है कि व्यक्ति दिन-प्रतिदिन
विकास करने का दावा करता है पर गरीब का तो सब कुछ छीना जा रहा है | उसे मरने के बाद जगह मिलने की बात तो
दूर होती जा रही है |
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