यह दंतुरित मुसकान- नागार्जुन
(1)
तुम्हारी यह दंतुरिततुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
मृतक में भी डाल देगी जान
धूलि-धूसर तुम्हारे ये गात...
छोड़कर तालाब मेरी झोपड़ी में खिल रहे जलजात
पारस पाकर तुम्हारा ही प्राण ,
पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण
प्रश्न 1- जलजात का पर्यायवाची लिखिए।
उत्तर- कमल
प्रश्न 2- दंतुरित मुस्कान से क्या आशय है?
उत्तर- नन्हे बालक जिसके अभी दाँत निकल रहे हैं, उस बालक की मुस्कान को दंतुरित मुस्कान कहा गया है।
प्रश्न 3- परस का तत्सम रूप लिखिए।
उत्तर- स्पर्श
प्रश्न 4- बालक की मुस्कान की क्या विशेषता है?
उत्तर- बालक की मुस्कान मृतक में भी जान डालने की क्षमता रखती है।
(2)
तुम मुझे पाए नहीं पहचान ?
देखते ही रहोगे अनिमेष !
थक गए हो ?
आँख लूँ मैं फेर ?
क्या हुआ यदि हो सके न परिचित पहली बार ?
यदि तुम्हारी माँ न माध्यम बनी होती आज
मैं न सकता देख
मैं न सकता जान
तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
प्रश्न 1- शिशु द्वारा कवि को अनिमेष देखने का कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- बालक ने कवि को प्रथम बार देखा है और उसे पहचानने के प्रयास में पलक नहीं झपका रहा।
प्रश्न 2- कवि शिशु से अपनी नजर हटाने की अनुमति क्यों चाहता है?
उत्तर- कवि को लगता है कि लगातार देखने से शिशु थक जाएगा इसलिए विराम देना चाहिए।
प्रश्न 3- माँ के माध्यम न बनने पर कवि क्या देखने और जानने को वंचित रह जाता?
उत्तर- माँ के माध्यम न ननने पर कवि शिशु के बाल सौन्दर्य और बाल सुलभ क्रियाओं को देखने से वंचित रह जाता।
(3)
धन्य तुम, माँ भी तुम्हारी धन्य!
चिर प्रवासी मैं इतर, मैं अन्य!
इस अतिथि से प्रिय क्या रहा तुम्हारा सम्पर्क
उँगलियाँ माँ की कराती रही हैं मधुपर्क
देखते तुम इधर कनखी मार
और होती जब की आँखें चार
तब तुम्हारे दंतुरित मुसकान
मुझे लगती बड़ी ही छविमान!
प्रश्न 1- कवि ने स्वयं को प्रवासी, इतर, अतिथि जैसे संबोधनों से क्यों संबोधित किया है?
उत्तर- कवि आजीविका हेतु बाहर रहता है कभी-कभी ही उसका घर आना हो पाता है अत: बच्चे से उसका संपर्क नाममात्र को ही हो पाता है। इसलिए कवि ने स्वयं को प्रवासी, इतर, अतिथि जैसे संबोधनों से संबोधित कियाहै।
प्रश्न 2- प्रस्तुत पद में मधुपर्क का सांकेतिक अर्थ क्या है?
उत्तर- प्रस्तुत पद में मधुपर्क का सांकेतिक अर्थ है माँ की ममता तथा वात्सल्य जो वह अपने बच्चे पर लुटाती है।
प्रश्न 3- कवि बच्चे की माँ को धन्य क्यों कह रहा है?
उत्तर- कवि बच्चे की माँ को धन्य कह रहा है क्योंकि उसे सदा ही बच्चे का सामीप्य सुख मिलता है जबकि कवि इससे वंचित है।
प्रश्न-उत्तर
1. दंतुरित मुस्कान से क्या तात्पर्य है, इसकी क्या विशेषता है?
उत्तर-नन्हा बालक जिसके अभी दाँत निकल रहे हैं उस बालक की मुस्कान को दंतुरित मुस्कान कहा गया है। यह मुस्कान बहुत ही निर्मल और निश्छल है जो देखने वाले के ह्रदय में आनंद और उत्साह का संचार करती है।
2. मुस्कान एवं क्रोध भिन्न भाव हैं। आपके विचार से हमारे जीवन में इनके क्या प्रभाव पड़ते हैं?
उत्तर- मुस्कान और क्रोध भिन्न भाव हैं, तुस्कान प्रसन्न ता को व्यक्त करती है और क्रोध असन्तोष और उग्रता प्रकट करता है।
3. दंतुरित मुस्कान कविता में किस भाषा का प्रयोग किया गया है?
उत्तर- संस्कृत निष्ठ खड़ी बोली।
4. इस कविता में किस शैली का प्रयोग किया गया है?
उत्तर- आत्मकथात्मक, प्रश्न एवं संबोधन शैली।
5. दंतुरित मुस्कान कविता किस युग की है?
उत्तर- आधुनिक काल (नई कविता)।
6. धूलि-धूसर तुम्हारे ये गात पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
उत्तर- अनुप्रास
7. शिशु कवि को किस प्रकार देख रहा है, उस रूप पर कवि की क्या प्रतिक्रिया होती है?
उत्तर- अनिमेष (एकटक/लगातार) कवि को छवि मान (सौन्दर्य पूर्ण) लगती है।
8. ‘‘थक गए हो’’ यहाँ कवि भावुक हो उठा है कैसे?
उत्तर- शिशु के लगातार देखने से कवि भावुक हो उठा, उसे यह स्थिति कष्टप्रश्नद लगती है इसलिए कवि ने ऐसा कहा है।
9. कवि ने स्वयं को इतर और अन्य क्यों कहा है?
उत्तर- क्योंकि वह प्रवासी है और शिशु कवि को प्रथम बार देख रहा है।
10. ‘देखते तुम इधर कनखी मार’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- मुहावरे का प्रयोग -तिरछी नजर से देखना।
11. कवि ने स्वयं को प्रवासी क्यों कहा है?
उत्तर- प्राचीन काल से ही पुरुष आजीविका के लिए अपने घरों-गाँवों को छोडक़र बाहर जाता रहा है। बच्चे की माँ ही उसका पालन-पोषण करती है। पिता से बच्चों का संपर्क कभी-कभी ही हो पाता है, इसलिए कवि ने स्वयं को प्रवासी कहा है।
12. भाव स्पष्ट कीजिए- ‘छू गया तुम से कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल बाँस था कि बबूल।’
उत्तर- शिशु का सौन्दर्य ऐसा अद्भुत है कि उसके स्पर्श मात्र से कठोर या रसहीन व्यक्ति के ह्रदय में भी रस उमड़ आता है, उसका ह्रदय वात्सल्य से भर जाता है।
13.भाव स्पष्ट कीजिए–’छू गया तुम से कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल बाँस था कि बबूल।’
उत्तर:- बच्चे की मनमोहक मुस्कान जादूभरी होती है | यह पाषाण ह्रदय में भी फूलों जैसी कोमलता एवं भाव प्रवणता उत्पन्न कर सकती है |
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