एक कहानी यह भी - मन्नू भण्डारी
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-
1.
पिता के ठीक विपरीत थीं हमारी बेपढ़ी-लिखी माँ। धरती से कुछ ज्यादा ही धैर्य और सहनशक्ति थी शायद उनमें। पिताजी की हर ज्यादती को अपना प्राप्य और बच्चों की हर उचित-अनुचित फरमाइश और जिद को अपना फर्ज समझकर बड़े सहज भाव से स्वीकार करती थी वे । उन्होंने ज़िंदगी भर अपने लिए कुछ माँगा नहीं, चाहा नहीं- केवल दिया ही दिया । हम भाई-बहनों का सारा लगाव ( शायद सहानुभूति से उपजा) माँ के साथ था लेकिन निहायत असहाय मजबूरी से लिपटा उनका यह त्याग कभी मेरा आदर्श नहीं बन सका.........न उनका त्याग, न उनकी सहिष्णुता ।
प्रश्न -
1. कैसे कहा जा सकता है कि लेखिका की माँ के अन्दर धरती से अधिक सहनशक्ति थी?
2. लेखिका के लिए उनकी मां की त्याग-भावना आदर्श क्यों नहीं बन सकी?
3. हम भाई-बहनों का सारा लगाव मां के साथ था लेकिन निहायत असहाय मजबूरी में लिपटा उनका यह त्याग कभी मेरा आदर्श नहीं बन सका- यह किस प्रकार का वाक्य है?
उत्तर -
1- माँ पिताजी की हर ज्यादती को अपना प्राप्य और बच्चों की हर उचित-अनुचित फरमाइश और जिद को अपना फर्ज समझकर बड़े सहज भाव से स्वीकार करती थी, इसलिए ये कहा जा सकता है कि लेखिका की माँ के अन्दर धरती से अधिक सहनशक्ति थी |
2- लेखिका के लिए उनकी मां की त्याग-भावना आदर्श क्यों नहीं बन सकी क्योंकि वह भावना मज़बूरी में लिपटी थी |
3- सरल वाक्य |
2.
सिकुड़ती आर्थिक स्थिति के कारण और अधिक विस्फारित उनका अहम्, उन्हें इस बात तक की अनुमति नहीं देता था कि वे कम-से-कम अपने बच्चों को तो अपनी आर्थिक विवशताओं का भागीदार बनाएँ। नवाबी आदतें, अधूरी महत्वाकांक्षाएँ, हमेशा शीर्ष पर रहने के बाद हाशिए पर सरकते चले जाने की यातना क्रोध बनकर हमेशा माँ को कँपाती-थरथराती रहती थी। अपनों के हाथों विश्वासघात की जाने कैसी गहरी चोटें होंगी। वे जिन्होंने आंख मूंदकर सबका विश्वास करने वाले पिता के बाद के दिनों में इतना शक्की बना दिया था कि जब-तब हम लोग भी उसकी चपेट में आते ही रहते।
प्रश्न -
1. ‘सिकुड़ती आर्थिक स्थिति’ का आशय है -
2. लेखिका के पिता के क्रोध का शिकार सर्वाधिक कौन होता था?
3. पिता के साथ ऐसा क्या घटित हुआ कि वे अपनों पर भी शक करने लगे -
उत्तर –
1-आर्थिक रूप से कमज़ोर होना |
2-लेखिका के पिता के क्रोध का शिकार सर्वाधिक शिकार लेखिका की माँ होती थी |
3-विश्वासघात के कारण पिता अपनों पर ही शक करने लगे |
3.
पिता जी के जिस शक्की स्वभाव पर मैं कभी भन्ना-भन्ना जाती थी, आज एकाएक अपने खंडित विश्वासों की व्यथा के नीचे मुझ उनके शक्की स्वभाव की झलक ही दिखाई देती है.....बहुत ‘अपनों’ के हाथों विश्वासघात की गहरी व्यथा से उपजा शक । होश सँभालने के बाद से ही जिन पिता जी से किसी -न-किसी बात पर हमेशा मेरी टक्कर ही चलती रही, वे तो न जाने कितने रूपों में मुझमें हैं...........कहीं कुंठाओं के रूप में, कहीं प्रतिक्रिया के रूप में तो कही प्रतिच्छाया के रूप में । केवल बाहरी भिन्नता के आधार पर अपनी परंपरा और पीढ़ियों को नकारने वालों को क्या सचमुच इस बात का बिल्कुल अहसास नहीं होता कि उनका आसन्न अतीत किस कदर उनके भीतर जड़ जमाए बैठा रहता है । समय का प्रवाह भले ही हमें दूसरी दिशाओं में बहाकर ले जाए..........स्थितियों का दबाव भले ही हमारा रूप बदल दे, हमें पूरी तरह उससे मुक्त तो नहीं ही कर सकता ।
प्रश्न -1. लेखिका के व्यवहार में पिता के किस व्यवहार की झलक दिखाई देती थी?
2. वह कौन सी बात है जिससे हम कभी मुक्त नहीं हो पाते?
3.लेखिका का टकराव अक्सर किससे होता था?
उत्तर
1-लेखिका के व्यवहार में पिता के शक्की स्वभाव की झलक दिखाई देती है |
2-लेखिका अपने आसन्न अतीत की यादों से कभी मुक्त नहीं हो सकती थी |
3-लेखिका का टकराव अक्सर अपने पिताजी से होता रहता था |
लघूत्तरीय प्रश्न (2 अंक) -
प्रश्न 1. लेखिका ने अपने पिता को किन गुणों के भग्नावशेषों को ढोते देखा था?
उत्तर- लेखिका ने अपने पिता को नाम, सम्मान, प्रतिष्ठा, समाज के काम, विद्यार्थियों को अपने घर में रखकर पढ़ाने, खुशहाल दरियादिल, कोमल और संवेदनशील होने के गुणों के भग्नावशेषों को ढोते देखा था ।
प्रश्न 2. वह कौन सी घटना थी जिसको सुनने पर लेखिका को न अपनी आँखों पर विश्वास हो पाया और न अपने कानों पर?
उत्तर- लेखिका जिस कॉलेज में पढ़ती थी, उस कॉलेज से प्रिंसिपल का पत्र पिताजी के नाम आया था। उसमें पिता जी से पूछा था कि उस पर अनुशासनात्मक कार्यवाही क्यों नहीं की जाए? पिताजी को इसलिए कॉलेज बुलाया था। पिताजी उस पत्र को पढ़कर आगबबूला हो गए । उन्हें लगा कि उनके पाँच बच्चों में से लेखिका ने उनके नाम पर दाग लगा दिया। वे लेखिका पर उबलते हुए कॉलेज पहुँचे। पिताजी के पीछे लेखिका पड़ोस में जाकर बैठ गई जिससे वह लौटने पर पिता जी के क्रोध से बच सके परन्तु जब वे कॉलेज से लौटे तो बहुत प्रसन्न थे, चेहरा गर्व से चमक रहा था । वे घर आकर बोले कि उसका कॉलेज की लड़कियों पर बहुत रौब है। पूरा कॉलेज तीन लड़कियों के इशारे पर खाली हो जाता है । प्रिंसिपल को कॉलेज चलाना असंभव हो रहा है। पिताजी को उस पर गर्व होने लगा कि वह देश की पुकार के समय देश के साथ चल रही है, इसलिए इसे रोकना असंभव था। यह सब सुनकर लेखिका को न अपनी ओँखों पर विश्वास हुआ न ही अपने कानों पर ।
प्रश्न 3. लेखिका का ‘पड़ोस कल्चर’ से क्या तात्पर्य है? आधुनिक जीवन में ‘पड़ोस कल्चर’ विच्छिन्न होने का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा है?
उत्तर- पड़ोस कल्चर’ से लेखिका का तात्पर्य है-घर के आसपास रहने वालों की संस्कृति। आधुनिक जीवन में अत्यधिक व्यस्तता के कारण महानगरों के फ्लैट में रहने वालों की संस्कृति ने परम्परागत ‘पड़ोस कल्चर’ से बच्चों को अलग करके उन्हें अत्यधिक संकीर्ण, असहाय और असुरक्षित बना दिया है ।
प्रश्न 4. माँ के धैर्य और सहनशक्ति को लेखिका ने धरती से भी ज्यादा क्यों बताया है?
उत्तर- लेखिका ने माँ के धैर्य और सहनश्क्ति को लेखिका ने धरती से भी ज्यादा बताया है क्योंकि पृथ्वी की सहनशक्ति और धैर्य तब जवाब दे देते हैं जब वह भूकंप बाढ़ आदि के रूप में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करती है। लेकिन लेखिका की माँ पिताजी की प्रत्येक ज़्यादती को चुपचाप सहन कर जाती है और बच्चों को प्रत्येक उचित-अनुचित फरमाइश और ज़िद को अपना कर्तव्य मानकर सहज भाव से स्वीकार कर लेती थी ।
प्रश्न 5. लेखिका ने यह क्यों कहा कि पिताजी कितनी तरह के अंतर्विरोधों के बीच जीते थे?
उत्तर- लेखिका के पिताजी में विशिष्ट बनने और बनाने की प्रबल लालसा थी, दूसरी ओर उनमें अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा को लेकर भी सजगता थी । वे आधुनिकता और परंपरा दोनों का निर्वाह करना चाहते थे । एक ओर लेखिका के जलसे-जुलूसों में नारे लगवाने-लगाने, हड़ताल करवाने और भाषण देने के विरूद्ध थे तो दूसरी ओर लेखिका के इन्हीं कार्यों पर गर्व से फूल उठते थे इसलिए लेखिका ने कहा कि पिताजी एक साथ कितनी तरह के अंतर्विराधों में जीते थे ।
प्रश्न 6. लेखिका मन्नू भंडारी की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए ।
उत्तर- लेखिका स्वतंत्र विचारों की पक्षधर थी जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय योगदान दिया । वह साहसी और जुझारू व्यक्तित्व की घनी थी ।
प्रश्न 7. लेखिका की साहित्य के प्रति रूचि जागृत होने का प्रमुख कारण क्या है?
उत्तर -लेखिका की अध्यापिका शीला अग्रवाल के प्रोत्साहन व मार्गदर्शन में उन्होंने हिन्दी के प्रमुख साहित्यकारों की कृतियों का अध्ययन किया । साथ ही वे अपनी अध्यापिका के साथ साहित्यिक चर्चाएँ भी करती रहीं ।
प्रश्न 8. भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में लेखिका का क्या सक्रिय योगदान रहा?
उत्तर- लेखिका स्थानीय स्तर पर धरने, प्रदर्शन, हड़ताल कराती व अंग्रेजी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करती व सार्वजनिक सभाओं में भाशण प्रस्तुत करती ।
प्रश्न 9. लेखिका के पिता के क्रोधी और शक्की होने के क्या कारण थे?
उत्तर- लेखिका के पिता महत्वाकांक्षी थे, उनमें नवाबी आदतें थीं तथा वे सामाजिक स्तर पर प्रतिष्ठा पाने व शीर्ष पर रहना चाहते थे । इस क्षेत्र में असफल रहने व आर्थिक रूप से पिछड़ने पर वे क्रोधी हो गए । साथ ही अपनों ही के द्वारा विश्वासघात किए जाने पर वे शक्की हो गए ।
प्रश्न 10. लेखिका के पिता उन्हें सामान्य लड़कियों से कैसे भिन्न बनाना चाहते थे?
उत्तर- लेखिका के पिता चाहते थे कि उनकी बेटी सामान्य लड़कियों की तरह गृहस्थी के कार्यों में अपनी प्रतिभा धूमिल न कर रचनात्मक, सृजनात्मक कार्यों एवं सामाजिक, राजनैतिक आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी करें तथा जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपनी छवि स्थापित करें ।
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