सूरदास
(1)
ऊधो, तुम हो अति बडभागी, अपरस सहत सनेह
प्रीति-नदी मैं पाऊँ न बोरयौ, दृष्टि न रूप परागी ।
सूरदास अबला हम भोरी , गुर चाँटी ज्यौं पागी ।
क- गोपियाँ उद्धव को भाग्यवान क्यों कहती हैं ?
ख- उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किस से की गई है ?
ग- "गुर चाँटी ज्यौं पागी" में कौन किसका प्रतीक है ?
उत्तर-
क- अनुराग न होने के कारण उन्हें किसी की विरह वेदना नहीं झेलनी पड़ी|
ख - उद्धव के व्यवहार की तुलना पानी में पड़े रहने वाले कमल के पत्ते से की गई है। जल में पड़ी तेल की गागर से की गई है।
ग- गुड़ - कृष्ण का, चीटियाँ- गोपियों की ।
(2)
मन की मन ही माँझ रही ।
कहिए जाए कौन पै उधौ, नाही परत कही ।
अवधि अधार आस आवन की, तन मन बिथा सही ।
अब इस जोग संदेसनि सुनि-सुनि, बिरहिनि बिरह दही ।
चाहति हुतीं गुहारि जितहिं तै, उत तै धार बही ।
सूरदास अब धीर धरहिं क्यों, मरजादा न लहि ।।
प्रश्न क- 'सुनि – सुनि ' में कौन –सा अलंकार है ?
ख- गोपियाँ अब धैर्य धरने को तैयार क्यों नहीं है ?
ग- उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम कैसे किया ?
उत्तर क- पुनरुक्ति अलंकार
ख- गोपियाँ कहती हैं कि कृष्ण ने ही मर्यादा नहीं रखी तो वे किसके सहारे धैर्य धारण करें। जिस पर हमें विश्वास था, उसी ने हमें धोखा दे दिया ।
ग-गोपियों के मन में कृष्ण के आगमन की आशा विद्यमान थी। इसी आशा के बल पर वह वियोग की वेदना सह रही थीं, पर उद्धव के संदेश ने उस आशा को नष्ट कर दिया। जिससे उनका रहा–सहा धैर्य भी जाता रहा और उनकी विरह व्यथा और भी बढ़ गई ।
(3)
हमारे हरि हारिल की लकरी।
मन क्रम बचन नंद–नंदन उर , यह दृढ़ करि पकरि ।
जागत सोवत स्वप्न दिवस-निसि, कान्ह–कान्ह जकरि ।
सुनत जोग लागत है ऐसौ , ज्यों करूई ककरि ।
सु तौ ब्याधि हमकौ लै आए , देखी सुनी न करी ।
यह तौ सूर तिनहिं लै सौंपौं, जिनके मन चकरी ।
प्रश्न क-'हारिल की लकड़ी' किसे कहा है ?
ख- योग को गोपियों ने कड़वी ककड़ी क्यों कहा है ?
ग- उद्धव गोपियों के लिए किस तरह की व्याधि लेकर आए हैं ?
उत्तर :
क- कृष्ण के नाम को ‘हारिल की लकड़ी’ कहा गया है |
ख- जिस प्रकार मनुष्य कड़वी ककड़ी को अपने मुँह में एक क्षण के लिए भी नहीं रखता और तुरंत ही उसे देता है, उसी प्रकार गोपियाँ भी एक क्षण के लिए भी योग को नहीं अपनाना चाहतीं हैं ।
ग- उद्धव योग रूपी व्याधि लेकर आए हैं। योग रूखा तथा उन्हें कृष्ण से अलग करने वाला है । इसलिए वे इसे व्याधि कहती हैं ।
लघुत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1- उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किस से की गई है ?
उत्तर - उद्धव के व्यवहार की तुलना निम्नलिखित से की गई है –
1-कमल के पत्ते से , जो जल में रहकर भी उससे प्रभावित नहीं होता ।
2. जल में पड़ी तेल की बूंद से , जो जल में घुलती-मिलती नहीं है ।
प्रश्न 2- गोपियाँ द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित हैं ?
उत्तर -यह व्यंग्य निहित हैं कि उद्धव कृष्ण के निकट रहकर भी उनके प्रभाव से सर्वथा अछूते हैं । उनके मन में अनुराग भाव उत्पन्न नहीं हुआ है । यह स्थिति उद्धव के लिए भाग्यशाली हो सकती है , गोपियों के लिए नहीं ।
प्रश्न 3 - गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने के लिए कहा है ?
उत्तर - गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा ऐसे लोगों को देने के लिए कहा है जिनके मन चकरी के समान घूमते रहते हैं । उन्हें ही योग के द्वारा मन एकाग्र करने की आवश्यकता है ।
प्रश्न 4 – सूरदास किस भक्ति मार्ग के समर्थक थे ?
उत्तर - सूरदास सगुण भक्ति मार्ग के समर्थक थे। इस मार्ग में भगवान के साकार रूप की उपासना की जाती है। इसलिए वे अपने पदों में योग मार्ग के विरूद्ध अपनी बात कहते हुए दिखाई पड़ते हैं ।
प्रश्न 5 – उद्धव गोपियों की मनोदशा क्यों नहीं समझ सके ?
उत्तर - उद्धव को निर्गुण ज्ञान पर अभिमान था। ज्ञान के दर्प में वे गोपियों के आदर्श प्रेम को नहीं समझ पाए।
प्रश्न 6 – भ्रमरगीत की विशेषताएँ लिखिए ।
उत्तर - भ्रमरगीत में निर्गुण ब्रह्म का विरोध,सगुण की सराहना, वियोग श्रृंगार का मार्मिक चित्रण है । इसमें गोपियों की स्पष्टता, वाकपटुता,सह्रदयता,व्यंग्यात्मकता सराहनीय है और एकनिष्ठ प्रेम, योग का पलायन, स्नेहासिक्त-उपालंभ अवलोकनीय हैं ।
प्रश्न 7 – गोपियों को राजधर्म की याद क्यों दिलानी पड़ी ?
उत्तर - प्रेम आदि की पवित्र नीतिपरक बातें भूलकर कृष्ण अनीति पर उतार आए हैं। अत: योग-संदेश को भेज कर प्रेम की मर्यादा के विरूद्ध कार्य कर रहे हैं । इसलिए उन्हें राजधर्म की याद दिलाकर प्रेम-नीति पर लाने का प्रयास किया गया ।
प्रश्न 8 – सूरदास के पढ़े गए पदों के आधार पर सूरदास की काव्यगत विशेषताएँ बताइए ।
उत्तर - क- एकनिष्ठ प्रेम
ख- वाक्पटुता
ग- गीत शैली
घ- व्यंग्यात्मक शैली
प्रश्न 9 – गोपियों के वाक चातुर्य की विशेषताएँ लिखिए ।
उत्तर - स्पष्टता व व्यंग्यात्मक प्रयोग ।
प्रश्न 10 – योग संदेश का गोपियों पर क्या प्रश्नभाव पड़ा ?
उत्तर - विरहाग्नि बढ़ गई । उनका मन दु:खी हो गया । उद्धव को उलाहने देने लगीं ।
Seen...👍👍
ReplyDelete