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उपभोक्तावाद की संस्कृति/अभ्यास प्रश्न


उपभोक्तावाद की संस्कृति : श्यामचरण दुबे

प्रश्न 1       लेखक के अनुसार जीवन में सुखसे क्या अभिप्रयाय है ?
उत्तर         आजकल लोग सुख का अभिप्रयाय केवल वस्तुओं तथा साधनों के उपभोग से मिलने वाली सुविधाएँ समझते हैं परन्तु लेखक का मानना है कि उपभोग सुखही सुख नहीं है | सुख की सीमा में ही शारीरिक, मानसिक और अन्य प्रकार के सूक्ष्म आराम भी आते हैं |

प्रश्न 2      लेखक ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिए चुनौती क्यों कहा है ?
उत्तर         लेखक ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिए चुनौती कहा है क्योंकि पहले के लोग सादा जीवन, उच्च विचार का पालन करते थे तथा सामाजिकता और नैतिकता के पक्षधर थे | आज उपभोक्तावादी संस्कृति भारतीय संस्कृति की नींव हिला रही थी | इससे हमारी एकता और अखंडता प्रभावित होती है | इसके अलावा यह संस्कृति भोग को बढ़ावा देती है तथा वर्ग-भेद को बढ़ावा देती है | इससे सामाजिक ताना बाना नष्ट होने का खतरा है |

प्रश्न 3      उपभोक्तावाद की संस्कृतिलोगों पर क्या प्रभाव डाल रही है?
उत्तर         उपभोक्तावाद की संस्कृतिसे लोग दिग्भ्रमित हो रहे हैं और अपनी संस्कृति का गौरव भूलते जा रहे हैं | लोगों की समझ ये नहीं आ रहा कि वे अपनी संस्कृति छोड़े या अपनाएं | वे बौद्धिक दासता का शिकार हो पाश्चात्य संस्कृति को अपनाते जा रहे हैं |

प्रश्न 4      छद्म आधुनिकता क्या है ? इसका लोगों पर क्या असर हो रहा है ?
उत्तर         आधुनिक बनने या होने का दिखावा करना ही छद्म आधुनिकता है| इसके प्रभाव स्वरूप लोग पश्चिम देशों की परम्पराए, रीती रिवाज तथा संस्कृति को अधिक विकसित तथा आधुनिक समझते हैं | हम पाश्चात्य सभ्यता और संस्कृति को बिना जाने-समझे अपनाने लगते हैं तथा भारतीय संस्कृति को कमतर समझते हैं | 

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