पद-तुलसीदास
पद-1
नाथ संभु धनु भंजनिहारा । होइहि केउ एक दास तुम़्हारा ।।
आयसु कहा कहिअ किन मोही । सुनि रिसाई बोले मुनि कोही ।।
सेवकु सो जो करै सेवकाई । अरि करनी करि करिअ लराई ।।
सुनहु राम जेहि सिवधनु तोरा । सहसबाहु सम सो रिपु मोरा ।।
सो बिलगाउ बिहाइ समाजा । न त मारे जैहंहि सब राजा ।।
सुनि मुनिबचन लखन मुसुकाने । बोले परसु धरहिं अवमाने ।।
बहु धनुहीं तोरी लरिकाई । कबहूँ न असि रिस कीन्हि गोसांई ।।
एहि धनु पर ममता केहि हेतु । सुनि रिसाई कह भृगुकुलकेतू ।।
रे नृपबालक कालबस, बोलत तोहि न संभार ।
धनुहीं सम त्रिपुरारि धनु, बिदित सकल संसार ।।
1. पद की भाषा और छंद के नाम लिखिए ।
उत्तर-अवधी भाषा तथा दोहा और चौपाई छंद ।
2. राम, लक्ष्मण और परशुराम के वचनों में कैसे मनोभाव है?
उत्तर- राम के वचनों में - विनम्रता
लक्ष्मण के वचनों में - व्यंग्य
परशुराम के वचनों में - क्रोध
3. सेवक का क्या गुण होता है? क्या परशुराम के अनुसार राम सच्चे सेवक थे?
उत्तर- सेवक का गुण होता है सेवा करना । परशुराम के अनुसार राम सच्चे सेवक नहीं थे, क्योंकि उन्होने शिव का धनुष तोड़कर शत्रुओं जैसा व्यवहार किया है ।
4. काव्यांश में प्रयुक्त अलंकार लिखिए ।
उतर प्रमुख अलंकार - अनुप्रास, अतिशयोक्ति
5-‘‘सेवक सो जो करे सेवकाई’’ का आशय स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- इस पंक्ति का तात्पर्य है कि सेवक वह है जो सेवा करता है । प्रस्तुत पद में इस पंक्ति को व्यंग्य रूप में प्रस्तुत किया गया है ।
पद-2
लखन कहा हंसि हमरे जाना । सुनहु देव सब धनुष समाना ।।
का छति लाभु जून धनु तोरे । देखा राम नयन के भांेरै ।।
छुअत टूट रघुपतिहु न दोसू । मुनि बिनु काज करिअ कत रोसू ।।
बोले चितै परसु की ओरा । रे सठ सुनेहि सुभाउ न मोरा ।।
बालकु बोलि बधै नहिं तोही । केवल मुनि जड़ जानहि मोही ।।
बाल ब्रह्मचारी अति कोही । बिस्वबिदित क्षत्रियकुल द्रोही ।।
भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही । बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही ।
सहसबाहु भुज छेदनिहारा । परसु बिलोकु महीपकुमारा ।।
मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीसकिसोर ।
गर्भन्ह के अर्भक दलन परसु मोर अति घोर ।।
प्रश्न 1. कवि व कविता का नाम लिखिए ।
उतर तुलसीदास। राम-लक्ष्मण, परशुराम संवाद ।
प्रश्न 2. लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के क्या क्या तर्क दिए?
उतर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने पर परशुराम से कहा-
· हमारी दृष्टि में सभी धनुष एक समान हैं
· पुराने शिव धनुष के टूटने पर क्या हानि-लाभ इत्यादि।
प्रश्न 3. काव्यांश में परशुराम ने अपने विषय में क्या-क्या कहा?
उतर परशुराम ने कहा मैं बाल ब्रहमचारी हूं, महाक्रोधी हूं, क्षत्रिय कुल संहारक हूं ।
प्रश्न 4. परशुराम ने लक्ष्मण को धमकाते हुए क्या कहा?
उतर लक्ष्मण को धमकाते हुए कहा कि मैं निरा मुनि नहीं हूं। मैने अनेक बार इस पृथ्वी को क्षत्रियों से विहीन किया है । मै सहस्रबाहु से लोहा लेने में समर्थ हूं । तुम्हें बालक समझकर छोड़ रहा हूं ।
प्रश्न 5. काव्यांश में प्रयुक्त अलंकार लिखिए ।
उतर प्रमुख अलंकार - अनुप्रास, अतिशयोक्ति ।
पद-3
बिहसि लखनु बोले मृदु बानी । अहो मुनीसु महाभट मानी ।
पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारू । चहत उड़ावन फूँक पहारू ।
इहा कुम्हड़बतिया कोऊ नाहीं । जे तरजनी देखि मरि जाहीं ।
देखि कुठारू सरासन बाना । मैं कुछ कहा सहित अभिमाना ।
भृगु सुत समुझि जनेऊ बिलोकी । जो कछु कहहु सहाैं रिस रोकी ।
सुर महिसुर हरिजन अरू गाई । हमारे कुल इन्ह पर न सुराई ।
बधें पापु अपकीरति हारें । मारतहूं पा परिअ तुम्हारे ।
कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा । व्यर्थ धरहु धनु बाना कुठारा ।
जो विलोकि अनुचित कहेऊँ छमहु महामुनि धीर ।
सुनि सरोश भृगुबंसमनि बोले गिरा गंभीर ।।
1 ‘‘कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं’’ कहकर लक्ष्मण क्या करना चाहते हैं?
उत्तर-लक्ष्मण कहना चाहते हैं कि हम कमजोर या कायर नहीं हैं कि आपके इस क्रोध से डर जाएँगे ।
2 ‘पुनि-पुनि’ में कौन सा अलंकार है?
उत्तर-पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार
3 लक्ष्मण से मुनि से कठोर वचन क्या सोच कर कहे थे?
उत्तर-लक्ष्मण ने परशुराम के हाथ मे कुल्हाड़ा और कंधों पर धनुष-बाण देखकर सोचा कि वे कोई वीर योद्धा होंगे अतः यही सोचकर लक्ष्मण ने मुनि से कठोर वचन कहे थे ।
4-पठित कविता के आधार पर तुलसीदास की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर- तुलसीदास रससि - कवि थे, उनकी भाषा अवधी है । इसमें दोहा, चौपाई शैली को अपनाया गया है।
5 कवि व कविता का नाम लिखिए ।
उतर तुलसीदास। राम-लक्ष्मण, परशुराम संवाद
पद-4
कहेउ लखन मुनि सीलु तुम्हारा । को नहि जान विदित संसारा ।
माता पितहि उरिन भये नीके । गुररिनु रहा सोचु बड़ जी के ।।
सो जनु हमरेहि माथे काढ़ा । दिन चलि गए ब्याज बड़ बाढ़ा ।
अब आनिअ व्यवहरिआ बोली । तुरत देउँ मैं थैली खोली।
सुनि कटु बचन कुठार सुधारा । हाय हाय सब सभा पुकारा ।।
भृगुबर परसु देखाबहु मोही । बिप्र बिचारि बचौं नृपद्रोही ।
मिले न कबहूं सुभट रन गाढ़े । द्विजदेवता घरहि के बाढ़े ।।
अनुचित कहि सबु लोगु पुकारे । रघुपति सयनहि लखनु नेवारे ।।
लखन उतर आहुति सरिस भृगुबर कोपु कृसानु ।
बढ़त देखि जल सम बचन बोले रघुकुलभानु ।
1 लक्ष्मण जी ने परशुराम जी की प्रशंसा करते हुए क्या व्यंग्य किया?
उत्तर- लक्ष्मण जी ने परशुराम जी पर व्यंग्य करते हुए कहा कि आपके शील के बारे में कौन नहीं जानता कि आपका कितना अच्छा शील है, सारा संसार इसके बारे में जानता है ।
2 लक्ष्मण के अनुसार परशुराम माता-पिता के ऋण से कैसे मुक्त हुए?
उत्तर- परशुराम अपने पितृहन्ता सहस्रबाहु की भुजाओं को काटकर पितृऋण से मुक्त हुए थे ।
3. लक्ष्मण किस ऋण की और किस ब्याज की बात कर रहे थे?
उत्तर- लक्ष्मण परशुराम के गुरूजन और उसके ब्याज की बात कर रहे हैं। उसके अनुसार परशुराम अपने गुरू शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं इसलिए शिव धनुष तोड़ने वाले का वध करना चाहते हैं ।
4. लक्ष्मण की कटु बातें सुन कर परशुराम ने क्या प्रतिक्रिया की?
उत्तर- लक्ष्मण की कटु बातें सुनकर परशुराम ने तुरन्त अपना फरसा संभाल लिया और क्रोधित और आक्रामक मुद्रा में खड़े हो गए ।
5. परशुराम को फरसा संभालते देखकर सभा और लक्ष्मण की क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर- सारी सभा त्राहि-त्राहि के कोलाहल से गूँज उठी । लक्ष्मण परशुराम के प्रति अधिक क्रु - और आक्रमक हो गए ।
प्रश्न उत्तर-
प्रश्न 1-परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए?
उत्तर- परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष टूट जाने के लिए निम्नलिखित तर्क दिए।
1. सभी धनुष तो एक समान होते हैं, फिर इस धनुष का इतना हो-हल्ला क्यों?
2. इस पुराने धनुष को तोड़ने पर हमें क्या मिलता है?
3. राम के छूने भर से ही वह धनुष टूट गया, इसमें राम का क्या दोश?
प्रश्न 2. इस पाठ के आधार पर परशुराम के स्वभाव की विशेषताएं लिखिए ।
उत्तर- पाठ को पढ़कर हमें परशुराम के स्वभाव की निम्नलिखित विशेषताएं पता लगती हैं-
1. वे महाक्रोधी थे ।
2. वे बड़बोले तथा अपनी वीरता की डींग हांकने वाले थे ।
3. वे जल्द ही उत्तेजित हो जाते थे ।
4. उन्हें अपने पूर्व के कृत्यों का बड़ा घमंड था ।
प्रश्न 3-‘‘सेवक सो जो करे सेवकाई’’ का आशय स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- इस पंक्ति का तात्पर्य है कि सेवक वह है जो सेवा करता है । प्रस्तुत पद में इस पंक्ति को व्यंग्य रूप में प्रस्तुत किया गया है । परशुराम कहते हैं कि शिव धनुष तोड़कर तुमने काम तो शत्रुओं जैसा किया है उन पर अपने आपको तुम मेरा दास कहते हो यह दोहरा व्यवहार नहीं चलेगा ।
प्रश्न 4-लक्ष्मण ने वीर योद्धा की कौन-कौन सी विशेषताओं का उल्लेख किया है?
उत्तर- लक्ष्मण द्वारा वीर योद्धा की निम्नलिखित विशेषताओं पर प्रकाश डाला कि शूरवीर यु -भूमि में अपनी वीरता का प्रदर्शन करता है । वह आत्म-प्रशंसा नहीं करता, वह कर्म पर आधारित होता है, वीरता का परिचय देता है ।
प्रश्न 5-पठित कविता के आधार पर तुलसीदास की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर- तुलसीदास रससि - कवि थे, उनकी भाषा अवधी है । इसमें दोहा, चौपाई शैली को अपनाया गया है । गेय पद है उनकी भाषा में संस्कृत के द्वारा काव्य को कोमल और संगीतात्मक बनाने का प्रयास किया है । कोमल ध्वनियों का प्रयोग किया है ।
प्रश्न 6-पदों के आधार पर लक्ष्मण व राम के स्वभाव की विशेषताएँ लिखिए ।
उत्तर- काव्यांश के आधार पर राम विनयशील, कोमल, गुरूजनों का आदर करने वाले, वीर, साहसी हैं। लक्ष्मण-उग्र, उद्दण्ड, वीर, साहसी, भाषा में व्यंग्य का भाव, स्वभाव से निडर हैं।
प्रश्न 7-किस कारण लक्ष्मण क्रोध को रोककर परशुराम के वचनों को सहन कर रहे थे?
उत्तर- लक्ष्मण क्रोध को रोककर परशुराम के वचनों को इसलिए सह रहे थे क्योंकि उनके कुल की परम्परा है । उनके यहां गाय, ब्राह्मण, हरिभक्त और देवताओं पर वीरता नहीं दिखाई जाती ।
प्रश्न 8 लक्ष्मण की बढ़ती हुई उच्छंखृलता पर अब तक मौन रहे राम ने अंत में लक्ष्मण को क्यों रोक लिया?
उत्तर- यद्यपि लक्ष्मण की उच्छंखृलता रघुवंश के अनुकूल नहीं थी फिर भी राम समझ रहे थे कि मुनिवर को हमारी वास्तविकता का ज्ञान हो जाए। परन्तु उपस्थित लोगों की पुकार से स्थिति बिगड़ती देख उन्होंने लक्ष्मण को आँखों के संकेत से रोका।
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