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सार लेखन


किसी गद्यांश जैसे लेख, सूचना, पत्र, विवरण आदि के मुख्य भाव या विचार को छोड़े बिना उसमें निहित तथ्यों को सरल एवं सुबोध भाषा  एवं संक्षेप में लिखना सार कहलाता है |
सार लिखते समय मूल अंश के समस्त मुख्य तत्वों को ठोस रूप में प्रस्तुत करना महत्त्वपूर्ण होता है | सार मूल अंश के लगभग एक तिहाई शब्दों तक सीमित होता है |
सार लेखन के लिए ध्यान रखने योग्य महत्त्वपूर्ण बिंदु-
1.जिस गद्यांश का सार लिखना है उसे ध्यानपूर्वक पढ़ें और समझने का प्रयत्न करें| यदि एक बार में पूरी तरह समझ न आए तो दोबारा पढ़ें |
2.गद्यांश के मुख्य भाव को समझें |
3.गद्यांश में आए वे महत्त्वपूर्ण अंश और शब्द रेखांकित कर लें जिनके आधार पर सार लिखा जा सकता है |
4.सार लिखते समय गद्यांश में आए उदाहरण, सन्दर्भ आदि को छोड़ देना चाहिए |
5.लिखे हुए सार को एक उपर्युक्त शीर्षक भी देना चाहिए |
6.सार लिखते समय मूल गद्यांश की भाषा को न अपनाकर अपने शब्दों में लिखने का प्रयास करना चाहिए |
7.सार लिखते समय सरल,सहज भाषा और छोटे-छोटे वाक्यों वाली शैली के प्रयोग से सार प्रभावशाली बनजाता है|
8.सार-लेखन के लिए एकाग्रता,स्पष्टता, तीव्र पढने और समझने की क्षमता तथा भाषा पर अधिकार जैसे गुण अनिवार्य हैं |
शीर्षक का चयन
(1) अनुच्छेद का केंद्रित भाव या मूल विचार ही शीर्षक में व्यक्त होना चाहिए |
(2) शीर्षक सरल, संक्षिप्त, तथा आकर्षक होना चाहिए | उसे छोटा बनाने के लिए समास- पद्धति का उपयोग करना चाहिए|
(3) शीर्षक में न तो मूल अनुच्छेद की कोई बात अनुपस्थित होनी चाहिए; न उसकी कोईबात अनुच्छेद के बाहर होनी चाहिए | शीर्षक अनुच्छेद के सभी विचारों का सच्चा प्रतिनिधि होना चाहिए|

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