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पाठों का सार कृत्तिका

कृत्तिका
1.माता  का आँचल :
लेखक ने माता का आँचल पाठ  में शैशवकाल के शैशवीय क्रिया कलापों को रेखांकित किया है । माता-पिता के स्नेह और मित्रों द्वारा मिल जुलकर खेलें जाने वाले खेलों कावर्णन किया है । लेखक ने स्पष्ट किया है कि बच्चा पिता के साथ भले ही अधिक समय बिताए किंतुआपदाओं के समय बच्चा अपनी माँ के आँचल में ही शरण लेता है । पिता से अधिक माता की गोद प्रिय और रक्षा करने में समर्थ प्रतीत होती है ।

2.जार्ज पंचम की नाक :
प्रस्तुत पाठ में भारतीय सरकारकी मानसिकता को बहुत ही स्पष्ट रूप से व्यक्त किया है । वर्षोंसे हम जिनके गुलाम रहे हैं उन अंग्रेजों के भारत से चले जाने पर भी हमारी मानसिकता परतंत्रता की बनी हुई है ।ब्रिटेन की महारानी के भारत आने पर सभी अपने काम-काज छोड़ कर उनके आगमन की तैयारी एवं स्वागत में सम्पूर्ण सरकारी तंत्र जुट जाता है । ऐसी स्थिति में जार्ज पंचम की टूटी नाक को लगाने के लिए भारतीय अपनी नाक काटने को तत्पर दिखाई जाती है ।यह एक व्यंग्य प्रधान कहानी है ।
कृत्तिका
1.साना साना हाथ जोडी:
यह पाठ एक यात्रा वृतांत है। इसमें लेखिका पूर्वोत्तर भारत के सिक्किम राज्य की राजधानी  गंगटोक और उसके आगे हिमालय की यात्रा का वर्णन प्रस्तुत करती हैं । लेखिका हिमालय के सौंदर्य का अदभुत और काव्यात्मक वर्णन करती हैं । इसे पढकर हिमालय का पल-पल परिवर्तित होता सौंदर्य हमारी आँखों के सामने साकार हो उठता है। गंगतोक/गंगटॉक/गंगटोक का असली नाम गंतोक’ है जिसका अर्थ होता है---पहाड़ ।
2. एहीं ठैयां झुलानी हैरानी हो रामा :
इस पाठ में कजली गायिका दुलारी के स्वभाव का चित्रण किया गया है । दुलारी अपने कठोर स्वभाव के लिए जानी जाती है पर उसके हृदय में कोमल भाव भी लिए है । वह उदार हृदय है उस पर टुन्नु के भावों का प्रभाव है । कहानीकार ने स्पष्ट किया है कि देश-प्रेम की भावना जब प्रबल होती है तो वह जिस भी स्थिति में हो देशप्रेम के रास्ते ढूंढ लेती है ।देश की सीमाओं पर देश के शत्रुओं से लड़्ना ही देश प्रेम नहीं है जबकि सम्पूर्ण कर्त्तव्यों का पालन भी देश भक्ति है ।
3.मैं क्यों लिखता हूं :

इस पाठ में लेखक ने स्पष्ट किया है कि लिखने की प्रेरणा कैसे पैदा होती है । लेखक उस पक्ष को पूरी स्पष्टता और ईमानदारी से लिख पाता है जो स्वयं अनुभूत होता है । जब वह जापान गया वहाँ एक पत्थर पर आदमी की छाया देखी तो उस रेडियो धर्मी विस्फोट का भयावह रूप उसकी आँखोंके सामनेप्रत्यक्ष हो गया जिसे उसने अपनी कविता में उतार दिया ।   

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