एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा !
प्रश्न 1. दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक सांस्कृतिक दायरे से बाहर है, फिर भी अति विशिष्ट है। इस कथन को ध्यान में रखते हुए दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर - दुलारी एक गौनहारिन है, इसलिए समाज में उसको अच्छी नजर से नहीं देखा जाता। वह उपेक्षित एवं तिरस्कृत है। दूसरे शब्दों में, वह विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक एवं सांस्कृतिक दायरे से बाहर है, लेकिन अपनी चारित्रिक विशेषताओं के कारण वह अति विशिष्ट है। उसके चरित्रा की ये विशेषताएँ उसे विशेष दर्जा प्रदान करती हैं -
क - स्वर कोकिला - दुलारी का स्वर अति मधुर है। उसे कजली गाने में तो महारत हासिल है। यही कारण है कि कजली-दंगल में उसे अपने पक्ष से प्रतिद्वंद्वी बनाकर खोजबाँ बाजार वाले निश्चिंत थे।
ख - प्रतिभाशाली शायरा कवयित्री -दुलारी के पास मधुर कंठ ही नहीं, त्वरित बुद्धि भी है। वह स्थिति के अनुसार तुरंत ऐसा पद्य तैयार करके गा सकती थी कि सुनने वाले दंग रह जाते। वह पद्य में ही सवाल-जवाब करने में माहिर थी, इसलिए विख्यात शायर भी उसका लिहाज़ करते थे। उसके सामने गाने में उन्हें घबराहट होती थी।
ग - निर्भीक एवं स्वाभिमानी- दुलारी स्वस्थ शरीर की मल्लिका है। वह हर रोज कसरत करती है उसका शरीर पहलवानों जैसा हो गया है वह स्वाभिमान से जीती है। पुलिस का मुखबिर पफेंकू सरदार उससे बदतमीजी करने की कोशिश करता है तो वह इस बात की परवाह किए बिना कि वह उसे सुख-सुविधा देता है वह झाडू से उसकी खबर लेती है।
घ - सच्ची प्रेमिका- दुलारी एक गौनहारिन है। उसके पेशे में प्रेम का केवल अभिनय किया जाता है लेकिन दुलारी टुन्नू से प्रेम करती है वह जान चुकी है कि टुन्नू उसके शरीर को नहीं गायन-कला को प्रेम करता है। इसे सात्विक प्रेम का प्रतिदान भी वह उसी की शैली में देती है। वह भी टुन्नू की भाँति रेशम छोड़ खद्दर अपना लेती है और टुन्नू की दी गई खद्दर की साड़ी पहनकर ही पुलिस वालों के सामने गाती हुई टुन्नू की मृत्यु का शोक मनाती है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि दुलारी के चरित्रा की विशिष्टता उसे एक अलग ही स्थान प्रदान करती है।
प्रश्न 2:- दुलारी और टुन्नू के प्रेम पीछे उनका कलाकार मन और उनकी कला थी। यह प्रेम दुलारी को देश प्रेम तक कैसे पहुँचाता है?
उत्तर:- टुन्नू 16-17 वर्ष का युवक था तो दुलारी ढलते यौवन की प्रौढ़ा थी। टुन्नू घंटे-आध घंटे आकर दुलारी के पास बैठता और उसकी बातें सुनता। वह केवल दुलारी की कला का प्रेमी था। उसे दुलारी की आयु, रंग या रूप से कुछ लेना देना न था। दुलारी भी टुन्नू की कला को पहचान कर उसका मान करने लगी थी। यह परस्पर सम्मान का भाव ही प्रेम में बदल गया। कहने को तो दुलारी ने होली पर गाँधी आश्रम से धेती लाने वाले टुन्नू को फटकार कर भगा दिया लेकिन टुन्नू के जाने के बाद उसे टुन्नू का बदला वेश उसका कुरता और गाँधी टोपी का ध्यान आया तो उसे समझने में देर न लगी कि टुन्नू स्वतंत्राता आंदोलन में शामिल हो गया है। एक सच्ची प्रेमिका की तरह उसने भी तुरंत वही राह अपनाने का पफैसला कर लिया और पफेंकू सरदार की लाई हुई विदेशी मिलों में बनी महीन धोतियाँ होली जलाने के लिए स्वराज आंदोलंनकारियो की फैलाई चद्दर पर फेंक दी। यह एक छोटा-सा त्याग वास्तव में एक बड़ी भावना की अभिव्यक्ति था।
प्रश्न 3:-- ‘एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा! का प्रतीकार्थ समझाइये।
उत्तर:- ‘एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा’ लोकभाषा में रचित इस गीत के मुखड़े का शाब्दिक भाव है- इसी स्थान पर मेरी नाक की लौंग खो गई है। इसका प्रतीकार्थ बड़ा गहरा है। नाक में पहना जाने वाला लौंग सुहाग का प्रतीक है। दुलारी एक गौनहारिन है। वह किसके नाम का लौंग अपने नाक में पहने। लेकिन मन रूपी नाक में उसने टुन्नू के नाम का लौंग पहन लिया है। जहाँ वह गा रही है: वही टुन्नू की हत्या की गई है। अतः दुलारी के कहने का भाव है- यही वह स्थान है, जहाँ मेरा सुहाग लुट गया है।
प्रश्न 4:-- ‘एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा’, कहानी के शीर्षक के प्रतीकार्थ को स्पष्ट कीजिए।
अथवा -
‘एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा’, कहानी के शीर्षक के औचित्य पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर:- ‘एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा’, कहानी के शीर्षक का सामान्य अर्थ है - हे राम! इसी स्थान पर मेरी झुलनी नाक के दोनों छिद्रों के बीच पहने जाने वाला गहना - खो गई है। ‘झुलनी’ सुहाग का प्रतीक है। कहानी की नायिका दुलारी टुन्नू को अपना सुहाग मानती है, किन्तु टुन्नू को देशप्रेम जनित कार्यो में सहभागी होने पर अली सगीर के हाथों शहीद होना पड़ता है। कहानी के अंतिम भाग में अमनसभा द्वारा आयोजित समारोह में दुलारी को उसी जगह पर जहाँ उसका प्रेमी मारा गया है, वहाँ मौसमी गाना बेमन से गाना पड़ता है। इस गीत में उसकी गहन वेदना प्रकट हो जाती है। अतः उक्त शीर्षक सार्थक उचित है।
प्रश्न 5:-- स्वाधीनता संग्राम के सेनानी विदेशी वस्त्रों की होली जलाकर क्या सिद्ध करना चाहते थे?
उत्तर:- स्वाधीनता संग्राम के सेनानी विदेशी सरकार के प्रति विद्रोह का प्रदर्शन करना चाहते थे। वे विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करना चाहते थे। अंग्रेजी शासकों के अत्याचार का दमन करना चाहते थे।
प्रश्न 6:-- टुन्नू के लाए उपहार को दुलारी ने क्यों ठुकरा दिया?
उत्तर:- टुन्नू अभी उम्र में बहुत छोटा था वह समाज की ऊँच-नीच नहीं समझ सकता था। दुलारी ने साड़ी को उपेक्षा से पफेंक दिया और टुन्नू को खूब खरी-खोटी सुनाई। वह नहीं चाहती कि टुन्नू अपने प्रेम प्रसंग को आगे बढ़ाए क्योंकि इससे उसकी बदनामी होगी जिससे टुन्नू वहाँ फिर कभी न आए।
प्रश्न 7:-- दुलारी का चरित्र चित्रण कीजिए?
उत्तर:- दुलारी का चरित्र-चित्रण संक्षेप में इस प्रकार से है कि वह एक कुशल गायिका, निर्भीक व स्वाभिमानी, देशप्रेमी, भावुक-हृदय और सच्ची प्रेमिका है।
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