मानवीय करूणा की दिव्य चमक – सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
(1)
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए–
जिसकी रगों में दूसरों के लिए मिठास भरे अमृत के अतिरिक्त और कुछ नहीं था उसके लिए इस ज़हर का विधान क्यों हो? यह सवाल किस ईश्वर से पूछें? प्रभु की आस्था ही जिसका अस्तित्व था। वह देह की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखिरी देहरी पर क्यों दे? एक लम्बी, पादरी के सफेद चोगे से ढकी आकृति सामने है– गोरा रंग, सफेद झाँईं मारती भूरी दाढ़ी, नीली आँखें–बाहें खोल गले लगाने को आतुर। इतनी ममता, इतना अपनत्व इस साधु में अपने हर एक प्रियजन के लिए उमड़ता रहता था।
1 फ़ादर किसे कहा गया है?
2 फ़ादर को ‘साधु’ की संज्ञा क्यों दी गई?
3 फ़ादर लेखक के साथ कैसा व्यवहार करते थे?
उत्तर-
1- फादर कामिल बुल्के को ‘फादर’ कहा गया है |
2- फादर कामिल बुल्के के ह्रदय में सभी के लिए प्यार, अपनत्व की भावना एवं ममता भरी थी, इसलिए उन्हें साधु कहा गया है |
3-लेखक के लिए फादर एक अभिभावक के समान थे |
(2)
उनकी चिंता हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखने की थी। हर मंच से इसकी तकलीफ़ बयान करते, इसके लिए अकाट्य तर्क देते। बस इसी एक सवाल पर उन्हें झुँझलाते देखा है और हिन्दी वालों द्वारा ही उपेक्षा पर दुख करते पाया है। घर–परिवार के बारे में, निजी दुख–तकलीफ़ के बारे में पूछना उनका स्व्भाव था और बड़े से बड़े दुख में उनके सुख से सांत्वना के जादू भरे दो शब्द सुनना एक ऐसी रोशनी से भर देता था जो किसी गहरी तपस्या से जनमती है।’हर मौत दिखाती है जीवन को नयी राह’। मुझे अपनी पत्नी और पुत्र की मृत्यु याद आ रही है और फ़ादर के शब्दों से झरती विरल शांति भी।
1- फ़ादर की झुँझलाहट किस कारण थी? 2- दुख में फ़ादर के सांत्वना भरे दो शब्द सुनने वाले पर क्या प्रभाव डालते हैं? 3- ‘उपेक्षा’ का विलोम है ?
उत्तर
1- हिन्दी भाषियों द्वारा ही हिन्दी की उपेक्षित स्थिति ही फादर की झुंझलाहट का कारण थी |
2- दुख में उनके सुख से सांत्वना के जादू भरे दो शब्द सुनना एक ऐसी रोशनी से भर देता था जो किसी गहरी तपस्या से जनमती है |
3- ‘उपेक्षा’ का विलोम ‘अपेक्षा’ है |
(3)
“भारत जाने की बात क्यों उठी? नहीं जानता बस मन में था”उनकी शर्त मान ली गई और भारत आ गए। पहले जिस संघ में दो साल पादरियों के बीच धर्माचार की पढ़ाई की।फिर 9–10 वर्ष दार्जिलिंग में पढ़ते रहे। कलकत्ता से बी.ए. किया और फिर इलाहाबाद से एम0 ए0। इन दिनों डॉ0 धीरेन्द्र वर्मा हिन्दी विभाग के अध्यक्ष थे। शोध–प्रबंध प्रयाग विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में रहकर 1950 में पूरा किया रामकथा उत्पति और विकास परिमल में उसके अध्याय पढ़े गए थे| फादर ने मातरलिंक के प्रसिद्ध नाटक ब्लू बर्ड का रूपांतरण भी किया नील पंछी के नाम से| हैदराबाद में वह सैंट जेवियर कॉलेज में हिन्दी तथा संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष हो गए और यही उन्होंने अपना प्रसिद्ध अंग्रेज़ी हिन्दी शब्द कोश तैयार किया और बाइबल का अनुवाद भी किया
1- फादर की किस शर्त का उल्लेख किया है ?
2- फादर ने किसका अनुवाद किया है ?
3- फादर ने कौनसा शब्द कोष तैयार किया ?
उत्तर
1- फादर ने अध्ययन के लिए भारत जाने की शर्त रखी, उसी का उल्लेख है |
2- फादर ने मातरलिंक के प्रसिद्ध नाटक ब्लू बर्ड का रूपांतरण भी किया नील पंछी के नाम से |
3- फादर ने अंग्रेजी हिन्दी शब्दकोष तैयार किया |
लघुत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न-1 आशय स्पष्ट कीजिए –
“फादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनने जैसा है”|
उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति में फादर बुल्के के व्यक्तित्व का प्रभाव दिखाया गया है| फादर की स्मृति को शांत संगीत सुनने जैसा कहा गया है| जिस प्रकार उदास और शांत संगीत हमारे मन में भी उदासी और शांति की अनुभूति उत्पन्नकर देता है उसी प्रकार फादर की स्मृति भी लेखक को उदासी और शांत भाव से भर देती है |
प्रश्न.2 फादर बुल्के के मन में सन्यास ग्रहण करने की बात क्यों उठी होगी ? अनुमान से कारण बताइए |
उत्तर- फादर बुल्के स्वभाव से साधु के गुणों से युक्त थे| वे मानव सेवा में अपना जीवन अर्पित करना चाहते थे|इसलिए उन्होंने सन्यासी जीवन ग्रहण कर भारत आने का निश्चिय किया होगा संभवत वे भारत की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति यहाँ के ज्ञान,रीतिरिवाज़,धार्मिकता,समाज आदि से प्रभावित रहे होंगे| जिसके कारण उन्होंने यहाँ आने का मन बनाया होगा |
प्रश्न3 ‘ नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है |”आशय स्पष्ट कीजिये|
उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से फादर कामिल बुल्के की मृत्यु पर उपस्थित जन समूह के दुःख को व्यक्त किया गया है| फादर की मृत्यु से वहाँ उपस्थित सभी लोग शोक संतप्त थे |
प्रश्न-4 बुल्के की उपस्थिति लेखक को देवदार की छ्या जैसी क्यों लगती थी ?
उत्तर- फादर हर अवसर पर लेखक के पास उपस्थित रहते थे उनके घरेलू उत्सवों संस्कारों में फादर बढ़े भाई और पुरोहित की भूमिका में होते और अपने स्नेह आशीष देते | दुःख और विपदा के समय वे लेखक को सँभालते और सांत्वना देते थे | उनकी उपस्थिति देवदार वृक्ष की छ्या के समान शांति एवं शीतलता प्रदान करता है |
प्रश्न 5 फादर कामिल बुल्के की चारित्रिक विशेषताएँ लिखें |
उत्तर- मित्रवत व्यवहार, ईश्वर के प्रति अटूट श्रद्धा, सभी के लिए दया-भाव, सभी के प्रति कल्याण का भाव, सभी से मेल जोल रखना |
प्रश्न 6 लेखक ने फादर कामिल बुल्के के लिए यह कयों कहा कि उन्हें जहरबाद से नही मरना चाहिए था।
उतर- फादर बुल्के ने आजीवन दूसरों के दुखों को दूर करने के लिए प्रश्नयतन किए ।वे सभी के प्रति प्रेम सहानुभूति करूणा का भाव रखते थे। अतः उनकी कष्टप्रद मौत को लेखक उनके प्रति अन्याय मानते है।
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