पत्र-लेखन
पत्र-लेखन एक
कला है| या मानव के विचारों के आदान-प्रदान
का अत्यंत सरल और सशक्त साधन है| लेखन की जितनी भी कलाएँ हैं उनमें
यह विधा अलग है क्योंकि पत्रकिसी न किसी व्यक्ति को संबोधित करते हुए लिखा जाता है
|
पत्र-लेखन में
ध्यातव्य बातें-
1-पत्र की भाषा सरल,सजीव तथा रोचक होनी चाहिए |
2-पत्रों में सरल तथा छोटे वाक्यों का
प्रयोग करना चाहिए |
3-पत्र में इधर-उधर की बातें न लिखकर अनावश्यक
विस्तार से बचना चाहिए |
4-पत्र-लेखन में भाषा की शिष्टता अवश्य बनाए रखना
चाहिए | यहाँ तक कि विरोध प्रकट करने की लिए
भी कटु भाषा का प्रयोग होना चाहिए |
5-पत्र का संपादन इस प्रकार होना चाहिए कि पत्र का सारांश उसमें झलकता हो |
पत्रों के
प्रकार -
पत्रों को
मुख्यतया दो भागों में बाँटा जा सकता है –
1-औपचारिक पत्र- जो पत्र सरकारी कार्यालयों के आलावा
अर्धसरकारी तथा गैर-सरकारी कार्यालयों को भेजे जाते हैं, उन्हें औपचारिक पत्र कहते हैं | ये पत्र उन लोगों, अधिकारियों, कर्मचारियों को लिखे जाते हैं, जिनसे हमारा निजता का या रिश्ते का सम्बन्ध
नहीं होता है| ये पत्र दैनिक जीवन की विभिन्न
आवश्यकताओं के सन्दर्भ में लिखे जाते हैं, जिनमे
ज़्यादातर अनुरोध का बोध होता है |
जैसे-प्रार्थना
पत्र, आवेदन पत्र, शिकायती पत्र, सम्पादकीय
पत्र, शुभकामना पत्र, धन्यवाद पत्र, व्यावसायिक
पत्र|
पत्र का
प्रकार सम्बन्ध प्रारम्भ समापन
प्रार्थना
पत्र प्राचार्य महोदय/ महोदया माननीय/ श्रीमानजी आपकाआज्ञाकारी शिष्य/शिष्या
आवेदन पत्र सम्बंधित अधिकारी का पद माननीय/ श्रीमानजी प्रार्थी/विनीत/भवदीय
शिकायती पत्र सम्बंधित अधिकारी का पद माननीय/ श्रीमानजी प्रार्थी/विनीत/भवदीय
औपचारिक पत्र
का प्रारूप-
प्रार्थना-पत्र
सेवा में,
प्राचार्य/ प्राचार्या
......................
......................
.....................
प्राचार्य/ प्राचार्या
......................
......................
.....................
विषय-.......................................(
सम्बंधित विषय का उल्लेख )
महोदय/महोदया
.............................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................
धन्यवाद,
आपका
आज्ञाकारी शिष्य/ शिष्या
.............................................
.............................................
अनौपचारिक पत्र- इन पत्रों को व्यक्तिगत या
पारिवारिक पत्र भी कहा जाता है| इन पत्रों को अपने मित्रों, रिश्तेदारों, सगे-सम्बन्धियों
तथा शुभेच्छु व्यक्तियों को लिखे जाते हैं| इस पत्रों में
आत्मीयता, निकटता, तथा घनिष्ठता का भाव समाया रहता है, जिनमें घरेलू और निजतापूर्ण बातों का उल्लेख
रहता है|
जैसे- बधाई पत्र, आभार प्रदर्शन-पत्र, निमंत्रण-पत्र, संवेदना-पत्र |
पत्र का
प्रकार - बधाई
पत्र धन्यवाद पत्र शुभकामना पत्र सांत्वना पत्र
सम्बन्ध प्रारम्भ समापन
बड़ों
के लिए बराबर वालों के लिए अपने से छोटों के लिए
आदरणीय,पूज्य प्रिय मित्र/नाम प्रिय अनुज/पुत्र/पुत्री
आपका/ आपकी स्नेही आपका अभिन्न ह्रदय आपका अग्रज/पिता
Sir
ReplyDeleteI'm Ridhi Tiwari from class 9th A
I have done my work
Oh u do so fast
DeleteSir
ReplyDeleteI am Deepika l have done this work
Sir
ReplyDeleteI am khushi from class 9 B
I have done my work
Sir I am Ritu of class 9 b I have also done this work
ReplyDeleteSir i am Ayush i have done my home work
ReplyDeleteSeen.....
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