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Sunday, March 15, 2020

संस्मरण


सोने की रोटी
१५-१६ साल की एक लडकी जो अभी पूरी तरह जवान भी नही हुई थी सायद उम्र से अधिक बूढी हो गई | उसके साथ उसी की तरह जवान किन्तु समय से बुढा हो चला उसका पति जिसने अभी शायद कोई नशा कर रखा था | इस जोड़े को पहली बार मैने सूरत शहर में पहली बार देखा जहा राते भी जवान रहती है ऊँची इमारतो वाले इस शहर में ये जोड़ा भी शायद सपने लेकर यहाँ आया होगा या वक्त की मार ने इनको मिला दिया होगा |
                     मै भी इन्ही की तरह अपने घर से दूर यहाँ आकर बेठा था बहुत जोर से भूख लगी थी वेटर को खाने का आर्डर दिया ये होटल भी क्या एक छोटा ढाबा था | बाहर सडक पर इस जोड़े की और अनायास ही बार बार मेरा ध्यान पता नही क्यों जा रहा था | वेटर खाना लेकर आया लेकिन फिर भी मेरा ध्यान अभी भी इसी जोड़े पर था | अचानक पता नही क्यों वो लडकी भाग रही थी और उसका पति उससे कुछ छिनने का प्रयास कर रहा रहा | अब मैने अपना खाना छोड़ पूरी तरह इस जोड़े पर ही अपना ध्यान केन्द्रित कर दिया था और उत्सुक हो चला था की वे क्या कर रहे है |
       उसके पति ने उससे कुछ छिन लिया था , एक रोटी थी जो शायद वह कही से ले आई थी | इन अमीर शहरों में गरीबो की दशा और रोटी की असली कीमत आज पहली बार मुझे मालूम हो रही थी | सोने चांदी के गहनों के लिये मशहूर इस शहर इन गरीबो के लिये असली सोना ये रोटी ही है |
                     थोड़ी देर पहले मुझे अपने घर छोड़ने का दुःख हो रहा था | अब मेरी आँखों में आंसू आ गये वेटर न जाने कब मेरे पास आकर  खड़ा हो गया मेरी आँखों में आंसू देखकर उसने पूछा क्या हुआ गरीब और रोटी की असली कीमत मेरे सामने थी | हजारों लोग जहा खाना बेकार कर देते है होटल में ऐसे ही छोड़ देते है शायद भोजन की असली कीमत नही जानते मैने अपना खाना वेटर को सामने दिख रहे इस जोड़े को देने को कहा |

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