कार्य पत्रक
अपठित
गद्यांश
को
पढ़कर
दिए
गए
प्रश्नों
के
उत्तर
दीजिए-
आम
दिनों
में
समुद्र
किनारे
के
इलाके
बेहद
खूबसूरत
लगते
हैं।
समुद्र
लाखों
लोगों
को
भोजन
देता
है
और
लाखों
उससे
जुड़े
दूसरे
कारोबारों
में
लगे
हैं।
दिसंबर
2004 को
सुनामी
या
समुद्री
भूकंप
से
उठने
वाली
तूफ़ानी
लहरों
के
प्रकोप
ने
एक
बार
फिर
साबित
कर
दिया
है
कि
कुदरत
की
यह
देन
सबसे
बड़े
विनाश
का
कारण
भी
बन
सकती
है।
प्रकृति
कब
अपने
ही
ताने-बाने को उलट कर रख देगी, कहना मुश्किल है। हम उसके बदलते मिजाज को उसका कोप कह लें या कुछ और, मगर यह अबूझ पहेली अकसर हमारे विश्वास के चीथड़े कर देती है और हमें यह अहसास करा जाती है कि हम एक कदम आगे नहीं, चार कदम पीछे हैं। एशिया के एक बड़े हिस्से में आने वाले उस भूकंप ने कई द्वीपों को इधर-उधर खिसकाकर एशिया का नक्शा ही बदल डाला। प्रकृति ने पहले भी अपनी ही दी हुई कई अद्भुत चीजें इंसान से वापस ले ली हैं जिसकी कसक अभी तक है।
दुख
जीवन
को
माँजता
है,
उसे
आगे
बढ़ने
का
हुनर
सिखाता
है।
वह
हमारे
जीवन
में
ग्रहण
लाता
है,
ताकि
हम
पूरे
प्रकाश
की
अहमियत
जान
सकें
और
रोशनी
को
बचाए
रखने
के
लिए
जतन
करें।
इस
जतन
से
सभ्यता
और
संस्कृति
का
निर्माण
होता
है।
सुनामी
के
कारण
दक्षिण
भारत
और
विश्व
के
अन्य
देशों
में
जो
पीड़ा
हम
देख
रहे
हैं,
उसे
निराशा
के
चश्मे
से
न
देखें।
ऐसे
समय
में
भी
मेघना,
अरुण
और
मैगी
जैसे
बच्चे
हमारे
जीवन
में
जोश,
उत्साह
और
शक्ति
भर
देते
हैं।
13 वर्षीय
मेघना
और
अरुण दो
दिन
अकेले
खारे
समुद्र
में
तैरते
हुए
जीव-जंतुओं से मुकाबला करते हुए किनारे आ लगे। इंडोनेशिया की रिजा पड़ोसी के दो बच्चों को पीठ पर लादकर पानी के बीच तैर रही थी कि एक विशालकाय साँप ने उसे किनारे का रास्ता दिखाया। मछुआरे की बेटी मैगी ने रविवार को समुद्र का भयंकर शोर सुना, उसकी शरारत को समझा, तुरंत अपना बेड़ा उठाया और अपने परिजनों को उस पर बिठा उतर आई समुद्र में, 41 लोगों को लेकर। महज 18 साल की जलपरी चल पड़ी पगलाए सागर से दो-दो हाथ करने। दस मीटर से ज्यादा ऊँची सुनामी लहरें जो कोई बाधा, रुकावट मानने को तैयार नहीं थीं, इस लड़की के बुलंद इरादों के सामने बौनी ही साबित हुईं। जिस प्रकृति ने हमारे सामने भारी तबाही मचाई है, उसी ने हमें ऐसी ताकत और सूझ दे रखी है कि हम फिर से खड़े होते हैं और चुनौतियों से लड़ने का एक रास्ता ढूंढ निकालते हैं। इस त्रासदी से पीड़ित लोगों की सहायता के लिए जिस तरह पूरी दुनिया एकजुट हुई है, वह इस बात का सबूत है कि मानवती हार नहीं मानती।
1.
कौन-सी आपदा को सुनामी कहा जाता है?
2.
‘दुख जीवन को माँजता है, उसे आगे बढ़ने का हुनर सिखाता है’-आशय स्पष्ट कीजिए।
3.
मैगी, मेघना और अरुण ने सुनामी जैसी आपदा का सामना किस प्रकार किया?
4.
प्रस्तुत गद्यांश में ‘दृढ़ निश्चय’ और ‘महत्त्व’ के लिए किन शब्दों का प्रयोग हुआ है ?
5.
इस गद्यांश के लिए शीर्षक ‘नाराज़ समुद्र’ हो सकती है। आप कोई अन्य शीर्षक दीजिए।
1.
भीषण भूकंप के कारण समुद्र में आने वाली तूफ़ानी लहरों को सुनामी कहा जाता है। यह आसपास के इलाकों को नष्ट कर देता है।
2.
दुख जीवन को साफ़-सुथरा बनाता है। अर्थात् व्यक्ति दुख से निपटने के उपाय सोचता है, उनसे छुटकारा पाता है। भविष्य में इससे बचने की तैयारी कर लेता है और नई आशा, उमंग और उल्लास के साथ जीवन शुरू करता है।
3.
मेघना और अरुण सुनामी में फँस गए थे, वे दो दिन तक समुद्र में तैरते रहे। कई बार वे समुद्री जीवों का शिकार
4.
होने से बचे और अंत में किनारे लगकर बच गए। मैगी ने समुद्र में उठ रही दस मीटर ऊँची लहरों के बीच अपना बेड़ा उतार दिया। उसमें अपने परिजनों को बिठाकर किनारे आने के लिए संघर्ष करने लगी। उसके बेड़े में 41 लोग और भी थे।
5.बुलंद इरादे, अहमियत
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