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Monday, April 13, 2020

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास- ल्हासा की ओर


Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 2  ल्हासा की ओर

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.थोड्ला के पहले के आखिरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के बावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका। क्यों?
उत्तर-इसका मुख्य कारण था-संबंधों का महत्त्व। तिब्बत में इस मार्ग पर यात्रियों के लिए एक-जैसी व्यवस्थाएँ नहीं थीं। इसलिए वहाँ जान-पहचान के आधार पर ठहरने का उचित स्थान मिल जाता था। बिना जान-पहचान के यात्री को भटकना पड़ता था। दूसरे, तिब्बत के लोग शाम छः बजे के बाद छङ पीकर मस्त हो जाते थे। तब वे यात्रियों की सुविधा का ध्यान नहीं रखते थे।
प्रश्न 2.उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकारे का भय बना रहता था?
उत्तर-उस समय तिब्बत में हथियार संबंधी कानून होने से यात्रियों को हमेशा अपनी जान को खतरा बना रहता था। लोग हथियारों को लाठी-डंडे की तरह लेकर चलते थे। डाकू अपनी रक्षा के लिए यात्रियों या लोगों को पहले मार देते थे, तब देखते थे कि उनके पास कुछ है भी या नहीं। इस तरह हमेशा जान जोखिम में रहती थी।
प्रश्न 3.लेखक लड्कोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गया?
उत्तर-लेखक लङ्कोर के मार्ग में अपने साथियों से दो कारणों से पिछड़ गया उसका घोड़ा बहुत सुस्त था। वह रास्ता भटककर एक-डेढ़ मील गलत रास्ते पर चला गया था। उसे वहाँ से वापस आना पड़ा।
प्रश्न 4.लेखक ने शेकर विहार में सुमति को उनके यजमानों के पास जाने से रोका, परंतु दूसरी बार रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया?
उत्तर-लेखक जानता था कि शेकर विाहर में सुमति के यजमान रहते हैं। सुमति उनके पास जाकर बोध गया के गंडों के नाम पर किसी भी कपड़े का गंडा देकर दक्षिणा वसूला करते थे। इस काम में वे हफ़्ता लगा देते, इसलिए मना कर दिया।
प्रश्न 5.अपनी यात्रा के दौरान लेखक को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
उत्तर-अपनी तिब्बत-यात्रा के दौरान लेखक को विभिन्न कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। एक बार वह भूलवश रास्ता भटक गया। दूसरी बार, उसे बहुत तेज धूप के कारण परेशान होना पड़ा।
प्रश्न 6.प्रस्तुत यात्रा-वृत्तांत के आधार पर बताइए कि उस समय का तिब्बती समाज कैसा था?
उत्तर-इस यात्रा वृतांत से पता चलता है कि उस समय तिब्बती समाज में परदा प्रथा, छुआछूत जैसी बुराइयाँ था। महिलाएँ अजनबी लोगों को भी चाय बनाकर दे देती थी। निम्न श्रेषी के भिखमंगों को छोड़कर कोई भी किसी के घर में जा सकता था। पुरुषवर्ग शाम के समय छक पीकर मदहोश रहते थे। वे गंडों पर अगाध विश्वास रखते थे। समाज में अंधविश्वास का बोलबाला था।

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