Total Pageviews

Sunday, April 19, 2020

बालगोबिन भगत



                       ikB dk lkj


    बालागोबिन भगत :

बालागोबिन भागता नामक पाठ में लेखक रामबृक्ष बेनीपुरी ऐसे व्यक्ति का रेखाचित्र खींचा है जो ,मानवता , लोकसंस्कृति ,सामूहिक चेतना तथा करनी कथनी में सभ्यता रखने वाले का प्रतीक हैं । लेखक के अनुसार मनुष्य कुछ विशिष्ट गुणों के आधार पर सन्यासी हो सकता है पर बाह्य आडंबरों जैसे वेश,दिखावायुक्त कर्म करने से कोई सन्यासी नहीं होता ।बालगोबिन अपने गुणों एवं कर्मों के कारण सन्यासी हैं । साथ ही लेखक ने समाज में व्याप्त कुरीतियों और बुराईयों पर करारा प्रहार किया है ।

कठिन शब्दों के अर्थ


गर्वोन्नत – गर्व से उंचा
खामखाह – बेवजह
कोंध – चमक
मझोला – न बहुत बड़ा न बहुत छोटा
कमली – कम्बल
पतोहू – पुत्र की वधु
रोपनी – धान की रोपाई
कलेवा – सवेरे का नाश्ता
पुरवाई – पूर्व की ओर से बहने वाली हवा
लोही – प्रात: काल की लालिमा
मंतग – बादल
प्रश्न 1खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे?

उत्तरबालगोबिन भगत बेटा-पतोहू से युक्त परिवार, खेतीबारी और साफ़-सुथरा मकान रखने वाले गृहस्थ थे, फिर भी उनका आचरण साधुओं जैसा था। वह सदैव खरी-खरी बातें कहते थे। वे झूठ नहीं बोलते थे। वे किसी की वस्तु को बिना पूछे प्रयोग नहीं करते थे। वे खामखाह किसी से झगड़ा नहीं करते थे। वे अत्यंत साधारण वेशभूषा में रहते थे। वे अपनी उपज को कबीरपंथी मठ पर चढ़ावा के रूप में दे देते थे। वहाँ से जो कुछ प्रसाद रूप में मिलता था उसी में परिवार का निर्वाह करते थे।

प्रश्न 2भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी?
उत्तरभगत की पुत्रवधू उन्हें इसलिए अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी क्योंकि भगत के इकलौते पुत्र और उसके पति की मृत्यु के बाद भगत अकेले पड़ गए थे। स्वयं भगत वृद्धावस्था में हैं। वे नेम-धर्म का पालन करने वाले इंसान हैं, जो अपने स्वास्थ्य की तनिक भी चिंता नहीं करते हैं। वह वृद्धावस्था में अकेले पड़े भगत को रोटियाँ बनाकर देना चाहती थी और उनकी सेवा करके अपना जीवन बिताना चाहती थी। 
प्रश्न 3. भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त कीं?
उत्तर-भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर औरों की तरह शोक और मातम नहीं मानाया। वे मृत बेटे के सामने बैठकर मस्ती और तल्लीनता में कबीर के पद गाते रहे। वे मृत्यु को आत्मा-परमात्मा का मिलन मानकर इससे दुखी होने के बजाय खुश होने का समय मान रहे थे। वे अपनी पुत्रवधू को भी आनंदोत्सव मनाने के लिए कहते जा रहे थे। 
प्रश्न 4. भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा को अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तरबालगोबिन भगत साठ वर्ष से अधिक उम्र वाले गोरे-चिट्टे इंसान थे। उनके बाल सफ़ेद हो चुके थे। उनका चेहरा सफ़ेद बालों से जगमगाता रहता था। कपड़ों के नाम पर उनके शरीर पर एक लँगोटी और सिर पर कनफटी टोपी धारण करते थे बालगोबिन भगत और गले में तुलसी की बेडौल माला पहने रहते थे। उनके माथे पर रामानंदी टीका सुशोभित होता था। सरदियों में वे काली कमली ओढ़े रहते थे। 
प्रश्न 5. बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी?
उत्तरबालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के लिए कुतूहल का कारण थी। वे अत्यंत सादगी, सरलता और नि:स्वार्थ भाव से जीवन जीते थे। उनके पास जो कुछ था, उसी में काम चलाया करते थे। वे किसी की वस्तु को बिना पूछे उपयोग में लाते थे। इस नियम का वे इतना बारीकी से पालन करते कि दूसरे के खेत में शौच के लिए भी बैठते थे। इसके अलावा दाँत किटकिटा देने वाली सरदियों की भोर में खुले आसमान के नीचे पोखरे पर बैठकर गाना, उससे पहले दो कोस जाकर नदी स्नान करने जैसे कार्य लोगों के आश्चर्य का कारण थी। 
प्रश्न 6.पाठ के आधार पर बालगोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-बालगोबिन भगत सुमधुर कंठ से इस तरह गाते थे कि कबीर के सीधे-सादे पद भी उनके मुँह से निकलकर सजीव हो उठते थे। उनके गीत सुनकर बच्चे झूम उठते थे, स्त्रियों के होंठ गुनगुनाने लगते थे और काम करने वालों के कदम लय-ताल से उठने लगते थे। इसके अलावा भादों की अर्धरात्रि में उनका गान सुनकर उसी तरह चौंक उठते थे, जैसे अँधेरी रात में बिजली चमकने से लोग चौंक कर सजग हो जाते हैं। 
प्रश्न 7. कुछ मार्मिक प्रसंगों के आधार पर यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। पाठ के आधार पर उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए।
उत्तरबालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। यह पाठ के निम्नलिखित मार्मिक प्रसंगों से ज्ञात होता - 
भगत ने अपने इकलौते पुत्र के निधन पर शोक मनाया और उसके क्रिया-कर्म को ज्यादा तूल दिया।
उन्होंने पुत्र केशव को स्वयं मुखाग्नि देकर अपनी पुत्रवधू से मुखाग्नि दिलवायी।
उन्होंने विधवा विवाह के समर्थन में कदम उठाते हुए उसके भाई को कहा कि इसको साथ ले जाकर दुबारा विवाह करवा देना।
वे साधुओं के संबल लेने और गृहस्थों के भिक्षा माँगने का विरोध करते हुए तीस कोस दूर गंगा स्नान करने जाते और उपवास रखते हुए यह यात्रा पूरी करते थे।
प्रश्न 8.धान की रोपाई के समय समूचे माहौल को भगत की स्वर लहरियाँ किस तरह झंकृत कर देती थीं? उस माहौल का शब्द-चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तरआषाढ़ महीने की रिमझिम के बीच सारा गाँव खेतों में उमड़ पड़ा है। शीतल पुरवाई चल रही है। आसमान बादलों से आच्छादित है। कहीं हल चल रहे हैं कहीं रोपनी हो रही है। बच्चे पानी भरे खेत में खेल रहे हैं। औरतें कलेवा लिए मेंड़ पर बैठी हैं। इसी समय भगत का कंठ फूट पड़ता है और उनके स्वरों की गूंज आसपास के लोगों को झूमने के लिए विवशकर देती है। इसे सुनकर बच्चे झूमने लगते हैं, स्त्रियों के होंठ गुनगुनाने लगते हैं और गीत की लय-ताल पर अँगुलियाँ रोपाई करने लगती हैं तथा कदम उठने लगते हैं।


1 comment: