Total Pageviews

Monday, June 23, 2025

कविता: समय की बहती रेत


वक़्त की मुट्ठी में थी जो रेत,
हर लम्हा सरकता गया चुपचाप।
हम देखते रहे, दिल में सैकड़ों सवाल,
और जवाब बना बस एक खामोश किताब।

कल की उम्मीदें, आज की खता बन गईं,
फुर्सतें कुछ पल की थी, रंजिशें सदा बन गईं।
हसरतों का ताज था जो सिर पे कभी,
अब गर्द-ए-हयात में खो गया बिन सबब कहीं।

हर लम्हा कहता रहा — थम जा ज़रा,
पर हमने सुना नहीं, चल पड़े बस यूँ ही फ़ना।
आँखों में जो ख्वाब थे, वो भी रेत बन गए,
हथेली पे रखे थे, वक्त के साथ बह गए।

कभी जो पल थे, इत्र जैसे महके थे,
अब वही यादें, बस ख़ामोशी में बहके हैं।
ज़िंदगी की किताब में ना कोई सिरे हैं,
हर पन्ना धुँधला, हर लफ्ज़ अधूरे हैं।

समय की ये बहती रेत कहती है हमसे —
"संभाल ले हर लम्हा, ये पल दोबारा न आएंगे,
जो आज ठहर के जी लिया,
वो कल की तस्वीरों में मुस्कराएंगे।"


दलीप सिंह

Sunday, June 22, 2025

कविता: "सफ़्हा खुला है आज का"


कविता: 
"सफ़्हा खुला है आज का"

सफ़्हा खुला है आज का, रंग भरो कुछ प्यार से,
लफ़्ज़ों की बारिश हो जाए, काग़ज़ भी मुस्काए।
कल की मीठी नींद से उठ, आज में सपना बो दो,
इक छोटा सा काम ही तो है, मुस्काकर बस कर लो।
ना तकरार कलम से हो, ना लड़ाई दवात से,
बस दिल की नर्मी भर दो तुम होमवर्क की बात से।
चलो चलें उस राह पर, जो रोशनी बन जाती है,
हर सवाल इक गीत लगे, जब कोशिश साथ निभाती है।

D.S.
---


Friday, May 2, 2025

झेलम के किनारे वाली लड़की

 

झेलम के किनारे वाली लड़की

झेलम के किनारे
एक लड़की रहती थी —
बालों में चम्पा का फूल,
आँखों में बारिश का रंग,
और हाथ में होता था
एक टूटा हुआ चूड़ी का टुकड़ा
जिसे वो ज़रा-ज़रा मुस्कुरा कर
सजाया करती थी सपनों में।

उसके पाँवों ने पहचाने थे
हर पत्थर की दरार,
घाट की सीढ़ियों पर बैठकर
वो पानी से बातें करती थी —
“आज बहाव तेज़ है,
कल क्या लौटूँगी मैं यहाँ?”
और झेलम हँस देती थी —
बस उतना ही, जितना दर्द छुपा सके।

एक दिन
सारे पेड़ खामोश हो गए,
घाट पर गूंजने वाली उसकी हँसी
किसी रेत में दब गई,
और झेलम —
जैसे अपनी ही आँखों में
कोहरा भर लाई हो।

घंटियों की जगह चुप्पियाँ टंगी हैं,
मछलियाँ अब नहीं डरतीं किसी के पैरों से,
और झेलम...
बस बहती है —
बिना देखे किनारे की ओर।

कहते हैं
कभी-कभी शाम के झुटपुटे में
एक परछाई उतरती है पानी पर,
चम्पा की खुशबू-सी,
हल्की... धीमी...
और कोई पूछता है —
“क्या तुमने देखी झेलम के किनारे वाली लड़की?”