जब मनुष्य जंगली था, उसे नाखून की जरूरत थी |उसकी जीवन रक्षा के लिए नाखून बहुत जरूरी थे|असल में वही उसके अस्त्र थे |दाँत भी थे पर नाखून के बाद ही उनका स्थान था | उन दिनो उसे जूझना पड़ता था नाखून उसके लिए आवश्यक अंग था |फिर धीरे धीरे वह अपने अंग से बाहर की वस्तुओं का सहारा लेने लगा|पत्थर के ढेले और पेड़ की डालें काम में लाने लगा|मनुष्य और आगे बढ़ा|उसने धातु के हथियार बनाए|जिसके पास लोहे के अस्त्र और शस्त्र थे वो विजयी हुए|इतिहास आगे बढ़ा,नख धार मनुष्य अब एटम बम पर भरोसा करके आगे की ओर चल पड़ा| पर उसके नाखून अब भी बढ़ रहे है|अब भी प्रकृति मनुष्य को उसके भीतर वाले अस्त्र से वंचित नहीं कर रही है, अब भी वो याद दिला देती है की तुम्हारे नाखून को भुलाया नहीं जा सकता|तुम वही लाख वर्ष पहले वाले नखदन्तावलम्बी जीव हो – पशु के साथ एक ही सतह पर विचरने वाले और चरने वाले|
1. मनुष्य को नाखून जरूरी क्यों थे ?
क) शस्त्र बनाने के लिए ख) उँगलियों को सुंदर बनाने के लिए
ग) अंगुलियों की सुरक्षा के लिए घ) जीवन रक्षा के लिए
2. कुछ समय बाद मनुष्य किन चीजों का सहारा लेने लगा ?
क) पत्थर के ढेले और पेड़ की डालें ख) पत्थर के बर्तन
ग) नाखून से बने हथियार घ) जानवरों के दाँत
3. मनुष्य अब किस पर भरोसा कर के आगे की ओर चल पड़ा है ?
क) परम पिता परमेंश्वर पर ख) एटम बम
ग) वज्र घ) नाखून
4. प्रकृति मनुष्य को कौन से अस्त्र से वंचित नहीं कर रही ?
क) वज्र ख) तन
ग) हस्त घ) नख
5. लेखक ने मनुष्य को कैसा जीव बताया है ?
क) संघर्ष करने वाला जीव ख) युद्ध करने वाला जीव
ग) परजीवी जीव घ) नखधारी जीव
उत्तर-
1- घ-जीवन रक्षा के लिए 2- क- पत्थर के ढेले और पेड़ की डालें
3- ख- एटम बम 4- घ- नख 5- घ-नखधारी जीव
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