आज भारतवर्ष की तपोभूमि पर नैतिक मूल्यो का पतन निरंतर जारी है । यही कारण है कि आज स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भी हम स्वयं को स्वतंत्र नही कह सकते । चोरी, ड्कैती, हिंसा,काला बाज़ारी, भ्रष्टाचार और बेईमानी- जैसी अनैतिक प्रवृत्तियों ने भारत की तस्वीर को विकृत कर दिया है । सत्य,अहिंसा, परोपकार की भावना तो लुप्त ही होती जा रही है। ये तो हमें मानना ही पड़ेगा, कि वैज्ञानिक दृष्टि से भारत ने पिछ्ले छियासठ वर्षो में असंभव को संभव कर दिया है। लेकिन प्रगति के साथ-साथ समस्याओं ने भी जन्म ले लिया। आज भारतवर्ष शांतिप्रिय नहीं रहा, क्योंकि देश की बाढ ही उसे खाये जा रही है। भ्रष्ट नेताओं के कारण भारत की तस्वीर के रंग फीके पड़ते जा रहे है। आज हम असुरक्षा की भावना से ग्रस्त है। कभी धर्म के नाम पर झगड़े, कभी आरक्षण को लेकर झगड़े। आज आतंकवाद के राक्षस ने सबको दबोच रखा है। इन सब के पीछे हमारी भ्रष्ट राजनीति है। जब राजनेता रिश्वत ले कर कार्य करें, तो क्या वे अपने राष्ट्र से प्रेम कर सकेंगे, कदापि नहीं। फिर हम उनसे कैसे आशा कर सकते है कि वे हमारे भारत की तस्वीर को विश्व के मानचित्र पर चमकाऐंगे ।
1 हमारे देश में बिना रुके किस का निरंतर ह्रास जारी है ?
(क) आर्थिक मूल्य (ख़) धार्मिक मूल्य
(ग) नैतिक मूल्य (घ) सामाजिक मूल्य
2 भारतीय समाज से किस भावना की समाप्ति–सी होती जा रही है ?
(क) प्रेम (ख) वात्सल्य
(ग) आस्तिकता (घ) परोपकार
3 भारत की छवि को धूमिल करने की मुख्य जिम्मेवारी है-
(क) लापरवाह चिकित्सकों की (ख) भ्रष्ट नेताओं की
(ग) कामचोर अफसरों की (घ) आराम पसंद अध्यापकों की
4 राजनीति का परिणाम है –
(क) आतंकवाद (ख) अहिंसावाद
(ग) भाई-भतीजावाद (घ) अस्तित्ववाद
5 किन से उम्मीद नहीं की जा सकती कि वे देश कि छवि को विश्व के मानचित्र पर उज्ज्वल बनाऐगें ?
(क) अभिनेता (ख) सह-अभिनेता
(ग) राजनेता (घ) रिश्वतखोर नेता
उत्तर-
1-ग नैतिक मूल्य 2-घ परोपकार
3-ख भ्रष्ट नेताओं की 4-क आतंकवाद
5-ग राजनेता
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