नीचे दिये गए गदयांश को ध्यानपूर्वक
पढ़िए और पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए–
मैं सोचता हूँ, “अच्छा ,अब
कभी उन बातों को न सोचूँगा| ठीक है,
जाने दो, सोचने से होता ही क्या है|”
पर, बरबस मेरी आँखों के सामने शरद की शीत किरणों के समान
स्वच्छ ,शीतल किसी की धुँधली छाया नाच उठती है| मुझे लगता है जैसे क्वार के दिन आ गए हैं| मेरे गाँव
के चारों ओर पानी ही पानी हिलोरें ले रहा
है | दिन में मैं चादर लपेटे सोया था|
दादी माँ आईं, उसी झागवाले जल में|
पतले –दुबले स्नेह–सने शरीर पर सफ़ेद किनारीहीन धोती, सन–से
सफ़ेद बालों के सिरों पर सद्य: टपके हुए जल की शीतलता| आते ही उन्होंने सर, पेट छुए|
आँचल की गाँठ के किसी अदृश्य शक्तिधारी के चबूतरे की मिट्टी मुँह में डाली, माथे पर लगाई|
१.
पाठ एवं लेखक का नाम लिखिए|
२.
लेखक किन बातों को नहीं सोचना चाहता और क्यों?
३.
लेखक की आँखों के सामने किसकी छाया नाच उठती है ? यह छाया दिखने में कैसी है?
४.
गाँव में क्वार के दिनों की क्या विशेषता होती है?
५.
लेखक दिन में क्यों सोए थे?
६.
लेखक ने दादी माँ की छवि का वर्णन किस प्रकार किया है?
७.
दादी माँ ने अपने बीमार पोते की देखभाल कैसे की?
८.
नीचे दिये गए शब्दों के अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
धुँधली, हिलोरें
९.
नीचे दिये गए शब्दों से उपसर्ग व प्रत्यय छाँटकर लिखिए –
अदृश्य ,किनारीहीन
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