फलेगी फूलकर खेती किसानों के कुमारों की ||घटेगी अब नहीं पूँजी खरे दुकानदारों की |
बढ़ा देगी कलाकारी कमाई शिल्पकारों की |
बढाई लोक में होगी सुलक्षण होनहारों की ||
खुलेगा द्वार उद्यम का प्रथा ऐसी प्रसारेंगे |
भलाई को न भूलेंगे तुझे भारत सुधारेंगे ||
अरे रंग पड़ गया पीला कलेवर लाल तेरे का |
नहीं कुल केसरी गरजे किसी भूपाल तेरे का ||
उजाला अब नहीं होता मुकुट रवि बाल तेरे का |
न छोड़ा हाय ब्रह्मा ने तिलक भी भाल तेरे का ||
डरो मत,इस अधोगति के प्रपंचो को पजारेंगे |
भलाई को न भूलेंगे तुझे भारत सुधारेंगे ||
1.यहाँ “खरे दुकानदार”से क्या तात्पर्य है ?
क खरा सामान बेचने वाला ख खरा सामान खरीदने वाला
ग खास सामान बेचने वाला घ ख़ास सामान बनाने वाला
2 कैसी प्रथा प्रारंभ की जाएगी ?
क जिसमें मेहनती लोगो को काम मिले ख जिसमें सभी को मेहनताना मिले
ग जिसमें बिना कुछ किये मेहनताना मिले घ खेत को बेच के मेहनताना मिले
3 ‘भाल’ शब्द का क्या अर्थ है ?
क माथा ख बिंदी
ग हाथ घ कलाई
4 अधोगति का क्या आशय है?
क उत्थान ख पतन
ग गतिशीलता घ तरक्की
5 इस कविता का सन्देश क्या है ?
क भगवान् के कार्यों को याद करो ख देश की स्थिति को सुधारा जाये
ग दुकानदारी खरी होनी चाहिए घ श्रम का द्वार खुले
उत्तरमाला-
1-कखरा सामान बेचने वाला 2-खजिसमें मेहनती लोगो को काम मिले
3-कमाथा 4-खपतन
5-घश्रम का द्वार खुले
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