निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों केउत्तर सही विकल्प
छाँटकर लिखिए अंक 5
आओ वीरोचित कर्म करो
मानव हो कुछ तो शर्म करो
यों कब तक सहते जाओगे, इस परवशता के जीवन से
विद्रोह करो, विद्रोह करो
जिसने निज स्वार्थ सदा साध
जिसने सीमाओं में बाँध
आओ उससे, उसकी निर्मित जगती के अणु अणु कण कण से
विद्रोह करो, विद्रोह करो
मनमानी सहना हमें नहीं
पशु बन कर रहना हमें नहीं
विधि के मत्थे पर भाग्य पटक, इय नियति की उलझन से
विद्रोह करो, विद्रोह करो
विप्लव गायन गाना होगा
सुख स्वर्ग यहाँ लाना होगा
अपने ही पौरुष के बल पर, जर्जर जीवन के क्रन्दन से
विद्रोह करो, विद्रोह करो
क्या जीवन व्यर्थ गँवाना है
कायरता पशु का बाना है
इस निरुत्साह मुर्दा दिल से, अपने तन से, अपने तन से...........
1 मनुष्य के लिए शर्मनाक है-
1 स्वार्थी भावनाएँ
2 पराधीनता का जीवन
3 वीरोचित कार्य
4 विद्रोह
2 ‘स्वार्थ साधना व सीमाओं में बाँधना’ संकेत करता है-
1 आतंकवाद की ओर
2 राजतंत्र की ओर
3 प्रजातंत्र की ओर
4 पंचतंत्र की ओर
3 ‘विधि के मत्थे भाग्य पटक’ पंक्ति किन व्यक्तियों की ओर संकेत करती है?
1 आशावादी
2 निराशावादी
3 भाग्यवादी
4 कर्मवादी
4 पृथ्वी पर स्वर्ग स्थापित होगा-
1 मनुष्य की पारस्परिक एकता से
2 ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति से
3 मनुष्य की विविघ कल्पनाओं से
4 मनुष्य के परिश्रम व साहस से
5 काव्यांश का उचित शीर्षक हो सकता है-
1 कर्म करो
2 शर्म करो
3 विद्रोह करो
4 क्रांति करो
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