निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों केउत्तर सही विकल्प
छाँटकर लिखिए अंक 5
जिस-जिससे पथ पर स्नेह मिला
उस-उस राही को धन्यवाद।
जीवन अस्थिर, अनजाने ही
हो जाता पथ पर मेल कहीं
सीमित पग-डग, लंबी मंजिल
तय कर लेना कुछ खेल नहीं।
दाएँ-बाएँ सुख-दुख चलते
सम्मुख चलता पथ का प्रमाद
जिस-जिससे पथ पर स्नेह मिला
उस-उस राही को धन्यवाद।
साँसों पर अवलम्बित काया,
जब चलते-चलते चूर हुई।
दो स्नेह शब्द मिल गए,
मिली- नव स्फूर्ति, थकावट दूर हुई।
पथ के पहचाने छूट गए,
पर साथ-साथ चल रही याद।
जिस-जिससे पथ पर स्नेह मिला
उस-उस राही को धन्यवाद।
प्रश्न 1 कवि किसे धन्यवाद देता है?
1 राही को।
2 मित्रों को।
3 परिवार जन को।
4 जीवन-मार्ग पर जिस-जिससे स्नेह मिला।
2 जीवन-मंजिल को तय कर लेना खेल क्यों नहीं है?
1 समय का अभाव।
2 लघु जीवन।
3 सीमित पग-डग।
4 निर्घनता।
3 कवि की ‘थकावट’ कब दूर हुई?
1 जब स्नेह के दो शब्द मिले।
2 जब आराम मिला।
3 जब साथ मिला।
4 जब वह प्रसन्न हुआ।
4 हमेशा हमारे साथ क्या रहता है?
1 साथियों का साथ।
2 साथियों की यादें।
3 साथियों का स्नेह।
4 साथियों की मित्राता।
5 ‘अवलम्बित’ शब्द का अर्थ है-
1 विलम्ब।
2 परतंत्र ।
3 आश्रित।
4 सहयोग।
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